चीतों को लाने के लिए चीतों की तस्वीर वाला एक विशेष बोइंग 747-400 विमान नामीबिया भेजा गया था
मौजूदा शासक श्रीमंत नरेन्द्र मोदी जी अपने जन्मदिन 17 सितंबर को राजशाही परंपरा निभाने का कार्य पूरा कर चुके हैं। इसके लिए दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से 8 चीता मंगाया गया है। इन्हीं आठ चीतों को लाने के लिए चीतों की तस्वीर वाला एक विशेष रूप से तैयार बोइंग 747-400 विमान नामीबिया भेजा गया था। इस स्पेशल विमान पर चीतों की पेटिंग की गई है।
नामीबिया से भारत लाए गए 8 चीतों से 5 साल के तीन नर और पांच मादा हैं। नर चीतों में से दो की उम्र साढ़े पांच साल और एक की साढ़े चार साल है। इसके पहले नामीबिया सरकार ने 5 मादा और 3 नर चीतों की वाट्सएप पर फोटू भेजी थी। प्राइवेट फार्म में पले इन चीतों का मुकाबला कूनो अभयारण्य के मूल निवासी 130 से ज़्यादा तेंदुओं और 100 भालुओं से होगा। 3-4 महीने बाद चीतों को जंगल में खुला छोड़ दिया जाएगा।
इस शौक को पूरा करने के लिए कुल लगभग ₹150 करोड़ खर्च किए जाएंगे
80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाले/वाली इन 8 चीतों पर अगले 5 साल में रू75 करोड़ खर्च होने वाले हैं। आज 17 सितंबर को इनको मध्यप्रदेश के नेशनल पार्क में विशेष हेलीकॉप्टर से लैंड करा दिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लीवर नीचे करते यह सभी अभ्यारण करने लगे।
इनके भोजन के लिए सैकड़ों हिरनों को जंगल में छोड़ा गया है जिसे वह मार-मार कर खाएंगे। …और इस शौक को पूरा करने के लिए कुल लगभग ₹150 करोड़ खर्च किए जाएंगे। भारत हो या नामीबिया जानवर नरभक्षी हो तो उसके शौक भी वैसे ही होते हैं।
‘प्रोजेक्ट चीता’ का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी
‘प्रोजेक्ट चीता’ का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ। मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी। अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री Jairam Ramesh जी अफ्रीका के चीता आउटरीच सेंटर गए। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी। अब चीते आ गए।
चीता की खालों को अपने सिंहासन पर बिछा कर बैठना भी सत्ताधीशों का एक प्रमुख शगल हुआ करता था
राजाओं और महाराजाओं का चीता पालना एक शौक था। दरअसल, सत्ता और शक्ति आने के बाद भोग-विलास युक्त ऐश्वर्य जीवन ही मानव स्वभाव का मूल चरित्र है। मुगल शासक अकबर के पास करीब 9 हजार से ज्यादा चीते थे, जिसे वो अपने शिकार के दौरान ले जाया करते थे। ऐसे ही तमाम राजा-महाराजाओं के पास भी चीते हुआ करते थे।