महाकाल का पूजन करने पहुंचने वाले नरेंद्र मोदी देश के चौथे प्रधानमंत्री हैं
जब 11 अक्टूबर को पीएम मोदी ने उज्जैन महाकाल कॉरिडोर के पहले फेज का उद्घाटन किया था, तो कॉरिडोर का उद्घाटन करने से पहले पीएम मोदी ने महाकाल की पूजा अर्चना और जाप भी किया था। महाकाल का पूजन करने पहुंचने वाले नरेंद्र मोदी देश के चौथे प्रधानमंत्री हैं। मोदी से पहले 1959 में पंडित जवाहरलाल नेहरू, 1977 में मोरारजी देसाई और 1988 में राजीव गांधी महाकाल दर्शन के लिए पहुंचे थे।
महाकाल का ये लोक अद्भुत है
तब ‘एबीपी न्यूज’ की जानी-मानी न्यूज एंकर रुबिका लियाकत भी उज्जैन स्थित पवित्र महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन किए थे। उन्होंने अपनी इस यात्रा की तस्वीरें ट्विटर पर पोस्ट की, जिसके बाद वह कुछ कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गईं। महाकालेश्वर मंदिर की यात्रा की तस्वीरें साझा करते हुए न्यूज एंकर ने लिखा, ‘‘उज्जैन के राजा के दर्शन हुए, उनके प्यारे नंदी से बात हुई…महाकाल का ये लोक अद्भुत है…”
रुबिका ने जैसे ही ट्वीट के साथ अपनी कुछ तस्वीरें साझा कीं, उसके कुछ देर बाद से ही कट्टरपंथियों ने उनकी निंदा करनी शुरू कर दी। कुछ कट्टरपंथियों ने उन पर ‘इस्लाम को धोखा देने’ और ‘शिर्क’ पाप करने का आरोप लगाया। हालांकि, इस बीच कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया है।
मुस्लिम कट्टरपंथियों का गुब्बार
एक मुस्लिम व्यक्ति ने रुबिका को एक हिंदू बताया और उन्हें चेतावनी दी कि ”उन्हें खुद को मुस्लिम नहीं कहना चाहिए।” एक अन्य मुस्लिम व्यक्ति ने शरीयत और इस्लाम का हवाला देते हुए कहा कि ”जो लोग शिर्क करते हैं वह मुसलमान नहीं रह जाते हैं।”
एक पत्रकार के रूप में अपनी पहचान बताने वाली एक मुस्लिम महिला ने रुबीना के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा, ‘कोई भी धर्म मजाक नहीं है! इस तरह दोनों धर्मों का अपमान कर रहे हैं आप, हर धर्म का सम्मान करना सही है लेकिन अपने आप को मुसलमान बताकर बुतपरस्ती करना गलत है। अपनी छवि सुधारने के लिए भगवान के किसी भी रूप का अपमान न करें।’
हिन्दू कट्टरपंथियों के मुंह पर भी तमाचा
- रुबिका एक मुस्लिम है, नमाज़ी है, शायद बीफ़ भी खाती ही होंगी। पर इस तरफ किसी को एतराज नहीं है (भावनाएं सिर्फ रणवीर और आलिया के आने से आहत होती हैं)
- इस्लाम में बुतपरस्ती हराम है, पर रुबिका ने महाकाल मंदिर में बुतपरस्ती की। पर उस तरफ भी किसी को एतराज नहीं है।
- दरअसल, रुबिका ने दोनों ओर के कट्टरपंथीयों को करारा तमाचा लगाया है। एक मुस्लिम मोहतरमा के अनुसार- नन्दी के साथ “लिपट” जाना, शिव की बन्दगी करना, सज्दा करना इस्लाम से ज़्यादा कट्टर हिंन्दुओ को पैग़ाम है। वाह, क्या सीन (Sin?) है !!
- अगली बार जब मुसलमानों से नफ़रत फैलाई जाए तब रुबिका लियाक़त को याद रखें। बस रुबिका का रास्ता ही “मुक्ति का मार्ग” है। रुबिका जैसे आप भी किसी “मस्जिद की दीवार से लिपट” सकते हैं। (कट्टरता दूर करने का नुस्ख़ा)
- रुबिका ने शिव को क़ुबूल फरमाया है। अब बारी है कि कट्टर हिन्दू मस्जिद जाकर अल्लाह का शुक्रिया अदा करें ! इस तहरीक की शुरुआत नूपुर शर्मा से हो तो पैग़ाम असरदार होगा … एक ओर रुबिका और दूसरी ओर नूपुर शर्मा – “मुहब्बत का सैलाब” आ जाएगा !