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Hamari Aawaj Aap Tak

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री आलोक कुमार मेहता ने आज BLDRA में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा का शुभारंभ

सूबे के भूमि सुधार उप समाहर्ता Bldr और mutation अपील के मामलों में स्वेच्छा से फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व यानि FIFO लागू करें ताकि पूरी व्यवस्था में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। हाल के दिनों में mutation के मामले में pendency कम हुई है किंतु revenue कोर्ट की बढ़ी है। इसे कम करने की जरूरत है। ये बातें राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री आलोक कुमार मेहता ने आज BLDRA में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा का शुभारंभ करते हुए कही । शुभारंभ के बाद वे भूमि सुधार उप समाहर्ताओं की मासिक बैठक को संबोधित कर रहे थे। माननीय मंत्री ने भूमि सुधार उप समाहर्ताओं को कहा कि वो भूमि माफियाओं से कड़ाई से निपटे। फैसले देने के साथ उन फैसलों के क्रियान्वयन पर भी विशेष बल दें। कोशिश करें कि 30 दिनों में इस ACT के तहत पारित आदेशों का Excution हो जाए।

उम्मीद है कि अगस्त, 23 तक pendency खत्म हो जाएगी

इस मौके पर उपस्थित अपर मुख्य सचिव श्री ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि दाखिल खारिज के मामलों में pending cases की संख्या कम हुई है। उम्मीद है कि अगस्त, 23 तक pendency खत्म हो जाएगी। बैठक में विभाग के सचिव श्री जय सिंह, भू अर्जन निदेशक श्री सुशील कुमार, संयुक्त सचिव श्री चंद्र शेखर विद्यार्थी और उत्तर बिहार के सभी अनुमंडल के भूमि सुधार उप समाहर्ता उपस्थित थे।

BLDRA यानि bihar land dispute redressel act अर्थात भूमि विवाद निराकरण अधिनियम 2009 में अब ऑनलाइन वाद दायर किया जा सकता है। इसके लिए भूमि सुधार उप समाहर्ता के न्यायालय में उपस्थित होना जरूरी नहीं है। साथ ही वाद में आए निर्णय का ऑनलाइन अवलोकन कर सकता है। इस अधिनियम के तहत रैयती जमीन से संबंधित छोटे मोटे झगड़े सुलझाने के लिए टाइटल डिसाइड करने का अधिकार भूमि सुधार उप समाहर्ताओं को दिया गया है।

इस एक्ट के तहत भूमि सुधार उप समाहर्ता द्वारा पारित आदेश के खिलाफ 30 दिनों के अंदर प्रमंडलीय आयुक्त के पास अपील करने का प्रावधान है

बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम, 2009 के अन्तर्गत सभी भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं को अधिकृत मामलों से संबंधित वादों की सुनवाई प्रारंभ करने तथा पूर्व के मामलों में पारित आदेषों के कार्यान्वयन का आदेश दिया गया है। वाद दायर होने के 90 दिनों के अंदर निर्णय दिया जाना है। इस एक्ट के तहत भूमि सुधार उप समाहर्ता द्वारा पारित आदेश के खिलाफ 30 दिनों के अंदर प्रमंडलीय आयुक्त के पास अपील करने का प्रावधान है।

राज्य में स्वत्वाधिकार अभिलेखों, चौहद्दी, राजस्व अभिलेखों की प्रविष्टियों, रैयती भूमि के गैर कानूनी दखल तथा सार्वजनिक भूमि के आवंटियों की जबरन बेदखली से उत्पन्न समस्याओं के शीघ्र एवं प्रभावी निराकरण के अतिरिक्त व्यवहार न्यायालयों एवं उच्च न्यायालयों में दायर अनावश्यक वादों को नियंत्रित करने के लिए इस अधिनियम का गठन किया गया है।

भूमि विवादों की सुनवाई के लिए भूमि सुधार उप समाहर्ता इस अधिनियम के तहत् सक्षम प्राधिकार घोषित किए गए। इस अधिनियम के अन्तर्गत रैयती भूमि के मामलों यथा- अतिक्रमण, अनधिकृत संरचना निर्माण, सीमा-विवाद, आवंटित सुयोग्य श्रेणी के बन्दोबस्तधारी की बेदखली का मामला, भू-खण्ड का विभाजन, आपसी संपत्ति का बंटवारा, सर्वे मानचित्र सहित स्वत्वाधिकार अभिलेख में की गयी प्रविष्टी में संशोधन से संबंधित माामलों का निराकरण हेतु क्षेत्राधिकार निश्चित किया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पटना उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के क्रिन्यावयन पर रोक लगा दी गई थी

उल्लेखनीय है कि इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत् निष्पादित मामलों के संदर्भ में सी0डब्लू0जे0सी0 सं0- 1091/2013 महेश्वर मंडल एवं अन्य बनाम राज्य सरकार एवं अन्य याचिकाकर्ता द्वारा माननीय पटना उच्च न्यायालय में दायर किया गया था। इस वाद की सुनवाई करते हुए माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा कतिपय आदेश पारित किये गए। अंततः इस वाद की माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई करते हुए बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम, 2009 की धारा-3, 4(1), 4(4) एवं 4(5) के संबध में दिनांक 31.07.2018 को आदेश पारित किया गया, जिसके अधीन धारा 4(4) के तहत कोई आदेश पारित नहीं किये जाने तथा धारा 4(5) को बाध्यकारी घोषित किये जाने से संबंधित था। बाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पटना उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के क्रिन्यावयन पर रोक लगा दी गई थी।