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‘नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः’

जाने-माने उद्योगपति और टाटा संस के मानद अध्यक्ष (चेयरमैन) रतन टाटा का बुधवार देर शाम ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। 86 वर्षीय टाटा पिछले कुछ समय से बीमार थे। उन्हें उम्र संबंधी परेशानियों के कारण गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था। भावभीनी श्रद्धांजलि!

रतन टाटा को रविवार रात ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार को उनकी एंजियोग्राफी की गई। इसके बाद उनकी हृदय गति बढ़ गई और हालत बिगड़ने लगी। उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था। टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने रतन टाटा के निधन की पुष्टि की। चंद्रशेखरन ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि हम रतन नवल टाटा को गहरे दुख के साथ विदाई दे रहे हैं।

भरोसे का दूसरा नाम Tata

देश की औद्योगिक क्रांति के अगुवा, प्रख्यात उद्योगपति, समाजसेवी और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन श्री रतन टाटा ने भारतीय उद्योग जगत को नई दिशा दी और समाजसेवा में भी अपना अद्वितीय योगदान दिया। उनके आदर्श और दूरदृष्टि से प्रेरित होकर आने वाली पीढ़ियाँ प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

अपनी सादगी के बूते बनाई अलग पहचान

रतन टाटा दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक थे, फिर भी वह कभी अरबपतियों की किसी सूची में नजर नहीं आए। दिग्गज उद्योगपति के पास 30 से ज्यादा कंपनियां थीं जो छह महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में फैली थीं, इसके बावजूद वह एक सादगीपूर्ण जीवन जीते थे। रतन टाटा कुल संपत्ति लगभग 3,800 करोड़ होने का अनुमान है। टाटा ट्रस्ट आय का 66% शिक्षा, स्वास्थ्य आदि में योगदान करती है। 1962 में टेल्को से शुरू हुआ था रतन टाटा का करियर।

1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन थे

वे वास्तव में एक असाधारण व्यक्ति थे। उनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह बल्कि हमारे राष्ट्र के ताने-बाने को भी आकार दिया। रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में टाटा समूह का नेतृत्व किया। वह अपने परदादा द्वारा सौ साल से भी पहले स्थापित इस समूह को 2012 तक चलाते रहे। एक सम्मानित और अग्रणी उद्योगपति टाटा अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं।

जमशेदपुर से खास लगाव था रतन टाटा को

जमशेदपुर। रतन टाटा 1962 में टाटा समूह में सहायक के रूप में शामिल हुए थे। बाद में उसी वर्ष टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी के जमशेदपुर संयंत्र में छह महीने की ट्रेनिंग ली थी। उन्हें जमशेदपुर शहर से प्यार था। वह अंतिम बार 3 मार्च 2021 को जमशेदपुर आए थे।

जन्मः 28-12-1937 निधन: 09-10-2024

” खाली हाथ आए है बंदे खाली हाथ दुनिया से जाना है।” उद्योगपति व अनमोल श्री रतन टाटा अविवाहित थे और कभी भी अपने सिद्धांतों से ना सौदा करने वाले श्री रतन टाटा जी का निधन अत्यंत दुख़द है। इनका देश विदेश मे व्यापार था। 2008 में पद्म विभूषण से किए गए थे सम्मानित।

रतन टाटा जी को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी कुछ अनुसरणीय बातें :-
  • अगर आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलिए। लेकिन अगर आप दूर तक जाना चाहते हैं, तो साथ-साथ चलें।
    * ‘सत्ता और धन’ मेरे दो प्रमुख सिद्धांत नहीं हैं।
    * अगर लोग आप पर पत्थर मारते हैं तो उन पत्थर उपयोग अपना महल बनाने में कर लें ।
    * दुनिया में करोड़ों लोग मेहनत करते हैं , फिर भी सबको अलग-अलग परिणाम प्राप्त होते हैं। इस सब के लिए मेहनत करने का तरीका जिम्मेदार है। इसलिए व्यक्ति को मेहनत करने के तरीके में सुधार करना चाहिए।
    *दूसरों की नकल करने वाले व्यक्ति थोड़े समय के लिए तो सफलता प्राप्त कर सकते हैं लेकिन जीवन में बहुत आगे नहीं बढ़ सकते हैं
  • आपको अभी अपने शिक्षक सख्त और डरावने लगते होंगे, क्योंकि आपका अभी तक बॉस नाम के प्राणी से पाला नहीं पड़ा है।
  • तुम्हारी गलती सिर्फ तुम्हारी है, तुम्हारी असफलता सिर्फ तुम्हारी है, किसी को दोष मत दो। अपनी इस गलती से सीखो और आगे बढ़ो।
    * तुम्हारे माँ-बाप तुम्हारे जन्म से पहले इतने नीरस और उबाऊ नहीं थे, जितना तुम्हें अभी लग रहा है। तुम्हारे पालन-पोषण में उन्होंने इतने कष्ट उठाये कि उनका स्वभाव बदल गया।
  • अच्छी पढ़ाई करने वाले और कड़ी मेहनत करने वाले अपने दोस्तो को कभी मत चिढ़ाओ। एक समय ऐसा आएगा कि तुम्हें उसके नीचे भी काम करना पड़ सकता है।
  • मुझे अपने देश पर गर्व है, लेकिन हमें जातिवाद और सांप्रदायिकता से मुक्त एक अखंड भारत बनाने के लिए एकजुट होने की जरूरत है। हमें सभी के लिए समान अवसर वाले भारत का निर्माण करने की आवश्यकता है, अगर हम अपने नजरिए को ऊँचा रखते हैं और निरंतर विकास, समृद्धि और समान अवसर लोगों तक पहुँचाते हैं तो हम वास्तव में महान राष्ट्र हो सकते हैं।