समस्तीपुर जिला समाजवादी विचारधारा की उर्वरा भूमि और समाजवादी नेताओं की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि रहा है
समस्तीपुर समाजवादी विचारधारा की उर्वरा भूमि रही है। जननायक कर्पूरी ठाकुर, राजेन्द्र नारायण शर्मा, वशिष्ठ नारायण सिंह, मंजय लाल एवं रामजपित राय जैसे महान समाजवादी नेताओं की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि रही है। ऐसे महान समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र तथा उजियारपुर विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना, बड़े गौरव का विषय है। समस्तीपुर और उजियापुर जैसी उर्वर भूमि तथा समाजवादी विचारधारा वाली महान जनता का ‘जन-प्रतिनिधि’ बनकर जनता की सेवा करने का सौभाग्य आलोक कुमार मेहता जी को मिला तो नित्यानंद राय को भी दो बार उजियारपुर की जनता ने मौका दिया।
आलोक कुमार मेहता
सरल और सौम्य, लेकिन धीर-गंभीर प्रकृति वाले, विरोधियों के साथ भी शालीनता से पेश आनेवाले, ‘व्यवहार-कुशलता’ के प्रतीक, समाजवादी विचारधारा से ओत-प्रोत एक सच्चा समाज सेवक बनने के लिए प्रयासरत श्रमिकों के सच्चे साथी, आलोक कुमार मेहता को नवगठित राज्य सरकार में कैबिनेट स्तर का राजस्व और भूमि सुधार मंत्री पद मिला है।
वैशाली जिले के महुआ प्रखंड के मिर्जानगर गांव निवासी बिहार सरकार में कई बार मंत्री रह चुके स्व. तुलसी दास मेहता जी के घर में इनका जन्म 3 नवंबर 1966 को हुआ। बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में अग्रसर हुए। मेहता जी राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं। सांसद बनने के समय मेहता जी युवा राजद के राष्ट्रीय अघ्यक्ष थे। दुबारा मंत्री बनने से पूर्व से ही वे पार्टी के प्रदेश प्रधान महासचिव थे। वर्ष 2000 में कल्याणपुर विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़ने के साथ ही उन्होंने अपनी राजनीतिक शुरुआत की।
समस्तीपुर लोक सभा से मई 2004 में समता पार्टी के रामचंद्र सिंह को पराजित कर पहली बार सांसद बने। वर्ष 2015 में महागठबंधन से उजियारपुर विधानसभा से निर्वाचित हुए। महागठबंधन सरकार में सहकारिता मंत्री बनाया गया। 2020 में वे फिर निर्वाचित हुए। इस बार उन्हें एक बार फिर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री बनाया गया। इनकी कार्य क्षमता और निष्ठा को देखकर इन्हें गन्ना एवं विकास मंत्री की जिम्मेवारी भी दी गयी।
किसानों का आर्थिक स्तर सुधारने, महिलाओं को मुख्यधारा में जोड़ने, दलितों को सामाजिक समानता दिलाने, मजदूरों की आर्थिक हालत सुधारने, उपेक्षितों का हक एवं अधिकार दिलाने, बेरोजगारी कम करने जैसे बुनियादी सामाजिक-राजनैतिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं।
विख्यात समाजवादी नेता और श्री राम मनोहर लोहिया जी, विनोबा भावे जी और कर्पूरी ठाकुर जी के नजदीकी सहयोगी रहे अपने पिता स्व. तुलसी दास मेहता जी के आदर्शों को लेकर अपनी अलग पहचान बनाने वाले आलोक कुमार मेहता जी का विनम्र व्यवहार अपने विरोधियों तक का भी दिल जीत लेता है।
समस्तीपुर लोक सभा क्षेत्र की महान जनता ने 2004 से 2009 के बीच जनप्रतिनिधि के रूप में आलोक कुमार मेहता जी को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। मेहता जी ने अपने संसदीय क्षेत्र से संबंधित हर समस्या को संसद में, केन्द्रीय मंत्रियों के समक्ष और संबंधित पदाधिकारियों के पास रखा और उनका सहयोग लेकर समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया-चाहे वह सड़क निर्माण से जुड़ा मामला हो या रेलवे से संबंधित।
शिक्षा, स्वास्थ्य, दूर संचार के मामले, या फिर समस्तीपुर को विकसित क्षेत्र बनाने से जुड़ा कोई अन्य मुद्दा। उन्होंने उपलब्ध संसाधनों का सर्वाेत्तम इस्तेमाल किया। अति-पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों, किसानों, नौजवानों के मामले हों अथवा बिहारी प्रवासी मजदूर, असम-महाराष्ट्र में बिहारियों पर हुए अत्याचार के मामले, उन्होंनेे संसद, सड़क और मीडिया में मजबूती से आवाज उठायी।
आलोक कुमार मेहता ने 2004-2009 के अपने संसदीय कार्यकाल में दर्जनों ऐतिहासिक काम किये जिनमें से कुछ प्रमुख हैं जैसे- संसद में सर्व प्रथम ‘युवा आयोग’ की मांग दर्ज करवाना, सरकार के प्रतिनिधि मंडल में अमेरिका, नीदरलैंड और जापान जैसे देशों में भारतीय युवावर्ग और ‘चाइल्ड ट्रैफिकिंग’ से संबंधित समस्याओं को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाना।
उजियारपुर की जनता गवाह है कि आलोक कुमार मेहता जनता के नेता रहे हैं। हमेशा जमीन से जुड़े रहकर आम लोगों की समस्याओं का निबटारा करने की सलाहियत व व्यवहारिकता इन्होंने अपने पिताजी व समाजवादी आंदोलन के प्रखर नेता स्व. तुलसीदास मेहता जी से सीखी है। राजनीति में इनके आदर्श डॉ- राम मनोहर लोहिया जी, जननायक कर्पूरी ठाकुर जी व वंचितों की आन-बान-शान श्री लालू प्रसाद जी रहे हैं।
आलोक कुमार मेहता जी जिस दल की राजनीति करते हैं, वह सामाजिक न्याय व धर्मनिरपेक्षता के उसूलों पर चलने वाली उत्तर भारत की एक प्रमुख पार्टी रही है। राजद गरीबों की, गरीबों के लिए, गरीबों द्वारा स्थापित पार्टी है —और यहां, बिना किसी विचलन के इस पार्टी के एक जिम्मेदार व जवाबदेह सिपाही के रूप में आलोक कुमार मेहता जी ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन लगातार जनता के बीच रहकर किया है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने आलोक कुमार मेहता को आगे कर दिया है। मिल रही खबरों और कुशवाहा जाति के राजनैतिक कार्यकर्ताओं में बढ़ते उत्साह को देखकर, बिहार में राजनीतिक समीकरण बदलते नजर आने लगे है। तेजस्वी प्रसाद यादव ने नई शुरूआत की है। आनेवाले दिनों में बिहार की राजनीति में बहुत बदलाव होने जा रहा है।
तेजस्वी यादव बहुत सोच-समझकर राजनीति में संतुलित, सार्थक, सकारात्मक एवं समयोचित कदम उठाते हुए आगे बढ़ रहे हैं, यह एक सुऽद संकेत है। जिन लोगों की उनसे वैचारिक प्रतिबद्धता है, वो उन्हें बिना कुछ मांगे स्वयं से आगे बढ़ा रहे हैं। गठबंधन बदलने से अब वैचारिक स्तर पर करीब रहनेवाली पिछड़ी, अति-पिछड़ी और एससी जातियों के गोलबंदी की पहल से, आनेवाले दिनों में बिहार का राजनैतिक परिदृश्य बदलने की प्रबल संभावना दिखने लगी है।
नित्यानंद राय
नित्यानंद राय यादव समुदाय से आते हैं और केंद्र में गृह राज्य मंत्री हैं। उनका राजनीतिक सफर 1982 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुआ था। 1990 में नित्यानंद बीजेपी में शामिल हुए। नित्यानंद राय लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के दौरान सुर्खियों में आए थे। बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार थी और लालू यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी।
तमाम प्रतिबंध के बावजूद नित्यानंद राय ने रथ यात्रा को हाजीपुर से गांधी सेतु हेतु हुए बड़े समर्थन के साथ पार कराया था। इसके बाद बीजेपी में लगातार उनकी पैठ बनती चली गई। 2000 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें हाजीपुर से अपना प्रत्याशी बनाया। यहां नित्यानंद ने बड़ी जीत हासिल की. इसके बाद से वे हाजीपुर सीट से लगातार चार बार विधायक चुने गए।
अमरेश राय
आरजेडी से अलग होकर अमरेश राय निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। मरेश राय ने 24 अप्रैल को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में हेलीकॉप्टर से नामांकन करने की बात कही है। दरअसल, अमरेश राय ने तेजस्वी यादव से उजियारपुर सीट से अपनी पत्नी राजश्री को चुनाव लड़ाने की बात कही थी। अगर राजश्री चुनाव नहीं लड़ती हैं तो किसी स्थानीय व्यक्ति को टिकट दिलवाना चाहते थे, लेकिन आरजेडी ने ऐसा नहीं किया।
इस बात से नाराज होकर अमरेश राय ने पार्टी छोड़ते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि अमरेश राय के मैदान में आने से नित्यानंद राय को अधिक फायदा नहीं होगा, क्योंकि वे राजद प्रत्याशी आलोक कुमार मेहता को यादव वोटों का ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे। यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने वालों को निराशा मिलेगी।