खबर आते ही रील, मीम और उपहास की श्रृंखला चल पड़ी है
कुछ दिनों पहले जमुई, बिहार से एक खबर आ रही थी कि 18 वर्षीय एक किशोर आईपीएस की वर्दी पहनकर थाने पहुंचता है। जहां सब पुलिसवाले हैरत में पड़ जाते हैं। पूछताछ से पता चलता है कि लड़के को किसी ने बरगलाया है और उससे दो लाख रुपए ऐंठ लिए हैं। खबर आते ही रील, मीम और उपहास की श्रृंखला चल पड़ी है।
पता नहीं उस दो लाख रुपए की व्यवस्था उसने कहां से की होगी, मां के गहने बेचे होंगे, पिता की जमापूंजी पर हाथ मारा होगा या और कोई तिकड़म भिड़ाया होगा ? हावभाव और बातचीत से लड़का बहुत संभ्रांत परिवार का भी मालूम नहीं होता। संभवतः उसी परिवेश से होगा, जहां शिक्षा, जागरूकता और मार्गदर्शन का अभाव है। अब इस परिघटना को दूसरे नजरिए से देखने की कोशिश करते हैं।
पहली बात तो यह स्पष्ट है कि बच्चा आईपीएस बनना चाहता था। उसने अपनी इच्छा किसी को बताकर उससे मार्गदर्शन मांगा होगा। उस तीसरे आदमी ने इसको बरगलाया. दो लाख रुपए ऐंठ लिए और कहीं से वर्दी पिस्तौल लाकर दे दी। बिहार जैसे राज्य में, जहां एक से एक होनहार बच्चे उचित मार्गदर्शन के अभाव में राह से भटक जाते हैं, यह कोई नई घटना नहीं है और हंसने वाली बात भी नहीं है।
यहां हर साल बारहवीं पास बच्चे को उसका ही कोई परिजन, कोई जानकार या कोई सीनियर महज दस-पन्द्रह हजार कमीशन के चक्कर में दिल्ली एनसीआर के किसी प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन कराकर फंसा देता है। बच्चे के साथ विश्वासघात होता है। उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। यह बात उसको उस वाहियात से कॉलेज में हर बीतते दिन पता चलती है।
दूसरी बात, धोखा किसी के साथ भी हो सकता है। आज की तकनीकी दुनिया में किसी को भी बहुत आसानी से ठगा जा सकता है। बहुत सी पढ़ी-लिखी और सामाजिक तौर पर प्रतिष्ठित मानी जाने वाली हस्तियों को भी जादू देखने के लिए कमेंट बॉक्स में 5 टाइप करते देखा है।
बहुत से धुरंधरों को केबीसी से आए कॉल में करोड़ों जीतने के नाम पर पचास हजार का चूना लगते देखा है। बहुत से संभ्रांत लोगों को घर में डिजिटल अरेस्ट करके लाखों निकलवा लिए गए हैं। आज के समय में लाख चौकन्ना रहने पर भी आप किसी भी चंगुल में फांसे जा सकते हैं। डिजिटल अरेस्ट, इमोशनल अरेस्ट, रिलीजियस अरेस्ट, मेडिकल अरेस्ट।
आईपीएस बनने की दिली ख्वाहिश हेतु उसकी पढ़ाई-लिखाई पर खर्च करके हमारा समाज एक नजीर पेश कर सकता है
इस घटना से सबक लीजिए। अपने बच्चों को उचित मार्गदर्शन दीजिए। उनको गलत हाथों में पड़ने से बचाइए। सही मार्गदर्शन के अभाव में बच्चे कई जगह आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से ठगे जाएंगे। और हां, अगर उस बच्चे की दिली ख्वाहिश ही आईपीएस बनने की है तो शायद उसकी पढ़ाई-लिखाई पर खर्च करके हमारा समाज एक नजीर पेश कर सकता है। हो सकता है यह वर्दी, यह दायित्त्व उसे उचित प्रक्रिया से मिल जाए।