उत्तर प्रदेश एवं देश के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान को हमेशा याद किया जाएगा
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के सरंक्षक श्री मुलायम सिंह यादव जी का निधन हो गया है। उन्होंने 82 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आज (10 अक्टूबर) सुबह 8:16 बजे आखिरी सांस ली। मुलायम सिंह यादव जी को 22 अगस्त को सांस लेने में तकलीफ और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत के बाद मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) में भर्ती कराया गया था, हालांकि उनकी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था और 1 अक्टूबर की रात को आईसीयू में शिफ्ट किया गया था, जहां एक डॉक्टरो का पैनल उनका इलाज कर रहा था।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी का निधन दुःखद। उनका निधन राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। वे बड़े समाजवादी नेता थे। वे देश के रक्षा मंत्री भी रहे। वे गरीबों के अधिकारों के लिए लड़नेवाली प्रभावी आवाजों में से एक थे। उत्तर प्रदेश एवं देश के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
मुलायम सिंह यादव अपने संबंधों को निभाने के लिए जाने जाते हैं
मुलायम सिंह यादव की राजनीति से कुछ लोग असहमत हो सकतें हैं मगर उनके निजी संबंध को निभाने के स्वभाव के अवश्य प्रशंसक होंगे। मुलायम सिंह यादव अपने संबंधों को निभाने के लिए जाने जाते हैं और इसके लिए वह किसी की भी आलोचना की परवाह नहीं करते थे। आज ज़रा सी उपलब्धि मिलने, सांसद और विधायक बनने के बाद लोग अपने पुराने संबंधों को भूल ही नहीं जाते बल्कि उनको पीठ पीछे गालियां देते हैं, उनका मज़ाक उड़ाते हैं। ऐसे लोगों को मुलायम सिंह यादव से सीखना चाहिए।
उन्होंने हर एक उस शख्स को मान सम्मान दिया जो उनके प्रारंभिक काल के साथी रहे, फिर चाहे अतीक अहमद हों, मुख्तार अंसारी हों राजा भैया, रमाकांत यादव और डीपी यादव रहे हों, फिर चाहे अमर सिंह, सुब्रत राय सहारा हों या आज़म खान। तमाम आलोचनाओं के बावजूद उनका साथ नहीं छोड़ा, डंके की चोट पर उनके साथ अपने संबंधों को बनाए रखा। अखिलेश यादव ने नेता जी का यही चरित्र छोड़ दिया, परिणाम आपके सामने है।
1992 में की सपा की स्थापना
मुलायम सिंह यादव जी का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था. पांच भाइयों में वे तीसरे नंबर पर थे। मुलायम सिंह जी ने पहलवानी से अपना करियर शुरू किया। वह पेशे से अध्यापक रहे. उन्होंने कुछ समय तक इंटर कॉलेज में अध्यापन किया। पिता उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। फिर अपने राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह को प्रभावित करने के बाद मुलायम सिंह यादव जी ने जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनावी अखाड़े से कदम रखा. वह 1982-1985 तक विधान परिषद के सदस्य रहे।
लोहिया आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले मुलायम सिंह यादव जी ने चार अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की. मुलायम सिंह यादव जी को राजनीति के अखाड़े का पहलवान कहा जाता था। वह प्रतिद्वंद्वियों को चित करने के माहिर रहे। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजनीति में उन्होंने वो ऊंचाई हासिल की जो किसी भी नेता के लिए सपना होता है। उन्होंने तीन बार राज्य की कमान संभाली। वह देश के रक्षा मंत्री भी बने। उत्तर प्रदेश विधानसभा के वह आठ बार सदस्य रहे।
मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक करियर पर एक नजर…
साल 1967 में मुलायम सिंह यादव जी पहली बार विधायक बने. इसके बाद 5 दिसंबर 1989 को पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। मुलायम ने अपना राजनीतिक अभियान जसवंतनगर विधानसभा सीट से शुरू किया। वह सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से आगे बढ़े। 1967, 1974, 1977, 1985, 1989 में वह विधानसभा के सदस्य रहे। मुलायम सिंह यादव 1989, 1993 और 2003 में यूपी के सीएम रहे. वह लोकसभा के सदस्य भी रहे।
1996 के चुनाव में जीतकर वह पहली बार संसद पहुंचे। इसके बाद 1998 में वह जीत हासिल किए। 1999 के चुनाव में भी उनकी जीत का सिलसिला जा रही। 2004 में वह मैनपुरी से लोकसभा चुनाव जीते। 2014 में वह आजमगढ़ संसदीय सीट और मैनपुरी से चुनाव लड़े और दोनों जगह से ही जीत हासिल किए। सपा के इस दिग्गज नेता की जीत का सिलसिला 2019 के चुनाव में भी जारी रहा और मैनपुरी से जीतकर एक बार फिर संसद पहुंचे।