
ग्लोबल वॉर्मिंग ने पंक्षियों के कुदरती बसेरों को छीन लिया है
मौसम बदलने से पंक्षी अपनी जगह बदल रहे हैं। एक रिसर्च के मुताबिक जगह परिवर्तन से पंक्षियों के जगह बदलने की दर तीन गुना बढ़ रही है। वैज्ञानिक कई बार यह कह चुके हैं कि कई प्रजातियां ध्रुवों की ओर जा रही हैं, क्योंकि ग्लोबल वॉर्मिंग ने उनके कुदरती बसेरों को छीन लिया है।
200 प्रजातियों के व्यवहार पर शोध के बाद विशेषज्ञों ने बताया कि जंगली जीवन हर दशक में औसतन 40 फुट ऊंचाई की ओर जा रहा है। जानवरों की ध्रुवों की ओर जाने की रफ्तार एक दशक में 16.6 किलोमीटर है।

पंक्षियों के जगह बदलने का रफ्तार दोगुना से ज्यादा है
की यूनिवर्सिटी ऑफ यार्क के प्रोफेसर क्रिस थॉमस के अनुसा,र 2003 में वैज्ञानिकों ने जानवरों के जगह बदलने के बारे में जो अनुमान लगाये थे, वह रफ्तार दोगुना से ज्यादा है। और बदलाव की ऊंचाई अनुमान से तीन गुना ज्यादा है।
दरअसल, जानवर अपने वजूद के लिए जरूरी हालात की खोज में हैं। थॉमस और दूसरे वैज्ञानिकों के अनुसार इस शोध से एक बात साफ हुई कि सबसे ज्यादा प्रजातियां उस ऊंचाई पर गयी है, जहां मौसम सबसे ज्यादा गर्म हुआ।
सेल फोन और 5G से भी फ़ैल रहा रेडिएशन ?
दिल्ली हाईकोर्ट ने जूही चावला पर 20 लाख का जुर्माना ठोक दिया था। यह जुर्माना इसलिए ठोका गया, क्योंकि उन्होंने कोर्ट में 5G टावर न लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की थी।
जूही चावला जी ने ऐसी याचिका सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए दायर की है
जूही चावला का कहना था कि 5 जी रेडिएशन से लोगों को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। कोर्ट का कहना था कि ”जूही चावला जी ने ऐसी याचिका सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए दायर की है।”

याद करिए कि अप्रैल माह में जब देश में कोरोना के रोगियों की संख्या अचानक बढ़ी, बहुत तेजी से यह बात हवा में उड़ी की 5 जी टावर की वजह से लोग बीमार पड़ रहे हैं। यह अफवाह उन लोगों ने उड़ाई थी जो कोरोनावायरस के अस्तित्व से ही इनकार कर रहे थे।
सेलफोन मोबाइल टावर से आर एफ यानी radio-frequency वेब पर जुड़ता है
अब बात सेल फोन और 5G से होने वाली रेडिएशन की। आप सभी को यह जानना चाहिए कि सेलफोन मोबाइल टावर से आर एफ यानी radio-frequency वेब पर जुड़ता है जिससे एक किस्म के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव पैदा होते हैं। इस तरह के वेव एफएम रेडियो और माइक्रोवेव में भी पैदा होते हैं।

इनसे जिस तरह का रेडिएशन होता है, उसे डॉन आयनाइजिंग रेडिएशन कहते हैं। यह रेडिएशन किसी व्यक्ति के डीएनए को प्रभावित नहीं कर सकता यह इतना कम होता है कि किसी को बीमार भी नहीं कर सकता। यह एक्सरे या सीटी स्कैन जैसा रेडिएशन नहीं है।