DATA का बढ़ता प्रयोग
यह सत्य है कि मोबाइल का उपयोग बढ़ा है लेकिन सरकार की नीतियों ने स्मार्ट फोन को हर हाथ के लिए आवश्यक बनाया है। हर रिचार्ज के साथ डेटा निर्धारित होता है और आउटगोइंग अनलिमिटेड होता है। कर्ज में डूबे आईडिया में सरकार और एसबीआई अपना भारी भरकम स्टेक भी खरीद चुकी है। कंपनियां शेयर मार्केट में निबंधित हैं और उनका एफपीओ भी आया है।
सरकार सारा कुछ ऑनलाइन कर चुकी है, इसलिए मोबाइल विलासिता की वस्तु नहीं रह गई। सरकारी सिस्टम ने इसे अत्यावश्यक बना दिया। पढ़ाई, सूचना, आवेदन, परिणाम, भुगतान, पत्राचार, विज्ञापन का जरिया मोबाइल को बना दिया गया।
इस पर अधिक लिखने की जरूरत नहीं है आप सभी इस बात से सहमत होंगे कि इन सेवाओं का प्रयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है, OTT चैनल के बढ़ते बाजार ने इसको और बढ़ाया है, DATA अब एक इसेंशियल कमोडिटी बन गया है और भविष्य में इसका और अधिक एक्सपेंशन होगा।
Telecom Sector: आज का आर्टिकल भारतीय Telecom Sector की एक ताजा खबर को लेकर है जो कि है JIO द्वारा की गई लगभग 20% की टैरिफ में बढ़ोतरी, इस लेख में एक कंज्यूमर के रूप में पड़ने वाले प्रभाव के बारे में अधिक जिक्र नहीं किया गया है मेरा मूल उद्देश्य एक इन्वेस्टर के तौर पर इस खबर के प्रभाव और अवसरों के रूप में हैं।
यदि हम भारतीय टेलीकॉम प्रदाताओं की बात करे तो इस क्षेत्र में Duopoly है, अर्थात मात्र दो प्रमुख कंपनी है BHARTI AIRTEL और RELIANCE (JIO बिजनेस इसी के अंतर्गत आता है), बहुत समय से इस बात की आशंका थी कि भारत में टैरिफ में बढ़ोतरी होगी और आज JIO ने इसकी शुरुआत कर भी दी, इस जगह पर हमे यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भारत में टैरिफ विश्व में काफी समय से न्यूनतम स्तर पर बने हुए हैं।
High Tariff Scenario
Telecom Sector की कंपनियों के रिजल्ट में एक विशेष टर्म देखने को मिलता है; ARPU इसका मतलब है AVERAGE REVENUE PER USER, मार्च 2024 के रिजल्ट में JIO के ARPU ₹181.70 और एयरटेल के ₹209 थे। टैरिफ बढ़ने का सीधा असर कंपनी के रेवेन्यू और PROFIT पर पड़ेगा। ये बढ़ोत्तरी काफी साल बाद हुई है पर उम्मीद है कि भविष्य में ये TARIFF रेट नियमित रूप से बढ़ते रहेंगे। प्रतिस्पर्धा की कमी के कारण इनके पास अब तगड़ी PRICING POWER आ गई है।
तीन वर्षों में एयरटेल का शेयर साढ़े चार गुणा बढ़ा है जबकि रिलायंस तो शेयर मार्केट की दिशा का निर्धारक है। उसका शेयर भी विगत चार वर्षों में चार गुणा से ज्यादा हुआ है। उन्हीं का सीएनबीसी आवाज भी है।आईडिया का शेयर विगत चार वर्षों में पाँच गुणा और पिछले एक-डेढ़ माह में 11 रुपये से 19 रुपये तक चला गया। फिर रेट हाइक की जरूरत नहीं थी।
भारी मुनाफे में चल रहीं मोबाइल कंपनियों के लिए रेट हाइक जरूरी नहीं था। रेट हाइक हुआ भी तो बहुत ज्यादा। यह खर्च आम आदमी पर पड़ेगा। उन कंपनियों की खर्च की बात करें तो स्पेक्ट्रम की नीलामी अपेक्षित कीमत से बहुत कम पर हुई है। सरकार को काफी कम पैसा मिला है। रिलायंस, वोडाफोन एयरटेल को काफी कम लागत देनी पड़ी। आईडिया, रिलायंस, भारती किनका है यह सबको पता है। ये सारे कॉरपोरेट्स सत्ता में अपनी हनक रखते हैं। हर दल पर इनकी पकड़ है।
जनता ऐसे प्राइवेट कंपनियों की मनमानी रोक सकती है
BSNL India का 4G नेटवर्क बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है। BSNL के प्लान बहुत सस्ते हैं। प्राइवेट कंपनियों की मनमानी रोकनी है तो BSNL सबसे बेस्ट विकल्प है। सबके फोन में 2 सिम आती है। 1 सिम BSNL की रखकर BSNL को मजबूत करेंगे तो pvt कम्पनियों अपनी मनमानी नहीं करेगी।