
महंगाई से परेशान लोगों को एक बार फिर दूध की बढ़ी कीमतों से सामना होगा
दुर्गापूजा खत्म होते ही सुधा डेयरी ने एक बार फिर दूध की कीमत में वृद्धि कर दी है। 11 अक्टूबर से सुधा सुधा दूध की कीमतों में 3 रुपए तक की वृद्धि देखने को मिलेगी। सुधा गोल्ड दूध का 1 लीटर का पैकेट अब 56 की जगह 59 रुपए में मिलेगा। सुधा शक्ति 2 रुपए लीटर महंगा हो गया है, जबकि सुधा गाय का दूध 2 रुपए प्रति लीटर महंगा हुआ है।
महंगाई से परेशान लोगों को एक बार फिर दूध की बढ़ी कीमतों से सामना होगा। सुधा ब्रांड की दूध की कीमतों में वृद्धि की जा रही है। 11 अक्टूबर से सुधा दूध की कीमतों में 3 रुपए तक का इजाफा देखने को मिलेगा। पटना डेयरी प्रोजेक्ट ने सुधा दूध के अलग-अलग वेराइटी की रेट लिस्ट भी जारी कर दी है। इसे 11 अक्टूबर से लागू कर दिया जाएगा।
पटना डेयरी प्रोजेक्ट की नई रेट लिस्ट के हिसाब से सुधा गोल्ड दूध का एक लीटर वाला पैकेट अब 56 की जगह 59 रुपए में मिलेगा। वहीं सुधा गोल्ड का आधा लीटर वाला पैकेट अब 28 की जगह 30 रुपए में मिलेगा। इसके लिए विज्ञापन भी जारी कर दिए गए हैं। इससे पहले अप्रैल में ही सुधा ने कीमतें बढ़ाई थीं।

पहले भी कई बार बढ़ चुके हैं रेट
कॉम्फेड के प्रबंध निदेशक के अनुसार, 10 तक पुराने रेट पर ही दूध मिलेगा। 11 अक्टूबर से नई रेट पर प्रिंट के साथ दूध उपलब्ध कराई जाएगी। पिछले डेढ़ साल में सुधा दूध की कीमतों में 6-9 रुपए तक की बढ़ोतरी हो गई है। इससे दो महीने पहले भी सुधा के दूसरे प्रोडक्ट में भी 5 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी।

शहरी इलाकों में ज्यादा आफत
ग्रामीण के मुकाबले शहरी इलाकों में दूध के भाव बढ़ने से घर के बजट पर काफी असर पड़ रहा है। पटना की एक उपभोक्ता के मुताबिक, उनके घर रोज की दूध की खपत करीब 2 किलो है। इसके लिए वो रोज डेढ़ किलो शक्ति और आधा किलो गाय का दूध लेती हैं। ऐसे में रोजाना के हिसाब से आज यानि शनिवार 8 अक्टूबर से उन्हें 4 रुपये ज्यादा देने पड़ रहे हैं।
आंकड़ों के हिसाब से बिहार में दूध की कुल खपत में सुधा दूध की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है। ऐसे में इस महंगाई का जबरदस्त असर पड़ेगा। सुधा ने अपने गोल्ड और शक्ति दूध पर 3 रुपए प्रति लीटर कीमत बढ़ाई है, जबकि सुधा हेल्दी और गाय के दूध की कीमत 2 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दी गई है।

दूध नहीं जहर पीता है इंडिया … ?
भारत में दूध उत्पादन 14 करोड़ लीटर है लेकिन खपत 64 करोड़ लीटर। WHO की चेतावनी- ”बंद नहीं हुई मिलावट तो 87% भारतीयों को 2025 तक होगा कैंसर।” एनीमल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य मोहन सिंह अहलूवालिया के मुताबिक, ”देश में बिकने वाला 68.7 फीसदी दूध और दूध से बना प्रोडक्ट मिलावटी है। यह फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की ओर से तय मानकों से कहीं भी मेल नहीं खाता है।”

सिंथेटिक’ दूध का गोरखधंधा
हर 100 लीटर दूध में वनस्पति तेल, डिटरजेंट, चूना और पानी की मिलावट करके अतिरिक्त 50 लीटर ‘बना’ लिया जाता है यानी ‘सिंथेटिक दूध’ की मिलावट से मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है. लेकिन इसका स्वास्थ्य पर लाइलाज असर होता है। डेयरी उद्योग पशुपालक किसानों और ट्रांसपोर्टरों से शुरू होता है। ट्रांसपोर्टर दिन में दो बार किसानों से दूध इकट्ठा करते हैं और स्थानीय शीत इकाइयों में पहुंचा देते हैं।
इसे लेने से पहले लैक्टोमीटर से दूध की शुद्धता की जांच की जाती है। नियमित तौर पर नहीं भी तो गाहे-ब-गाहे की ही जाती है। उसके बाद इस दूध को 1 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा किया जाता है। फिर इसे टैंकरों में भर कर प्रसंस्करण इकाइयों में भेज दिया जाता है। यहां इसमें दूध पॉवडर वगैरह पैकेज/प्रोसेस किया जाता है।

कैसे होता है यह खेल
आम जबान में कहें तो यही मिलावट है जो शीत इकाइयों में की जाती है और इसकी सीधी-सादी वजह है, इन जगहों से होकर गुजरने वाले दूध की तादाद। ‘सिंथेटिक दूध’ बनाने की प्रक्रिया में दूसरे रसायनों के अलावा रिफाइंड ऑयल या वनस्पति, साबुन और शैंपू शामिल होते हैं। तरल पदार्थों में वसा को नापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लैक्टोमीटर की जांच में इस किस्म का नकली और मिलावटी दूध बड़ी आसानी से पास हो जाता है, क्योंकि इसमें तेल मिला होता है।

मिलावटी दूध की कीमत
मूल्य शृंखला के बिल्कुल पहले सिरे पर खड़े पशुपालक किसान एक लीटर शुद्ध दूध पर करीब 40 रुपए कमाते हैं। ठंडा करने, प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ऐसी ही प्रक्रियाओं से गुजरते हुए कई पायदानों के बाद यह दूध करीब 48 रुपए प्रति लीटर (और उससे भी ज्यादा) कीमत पर घरों में आता है। रोज बिकने वाली दूध की भारी मात्रा को देखते हुए मिलावट से होने वाला मुनाफा जबरदस्त हो सकता है।

नाम नहीं छापने की शर्त पर डेयरी से जुड़े एक आदमी का कहना है – ”कच्चे दूध के हर 100 लीटर में (शीत संयंत्रों में दूध में मिलावट करने वाले लोग) करीब दो लीटर रिफाइंड तेल, 200 ग्राम डिटरजेंट, 50 ग्राम चूना और 30 लीटर पानी मिलाते हैं।” यह तकरीबन 200 रुपए का निवेश होता है।

इस पूरी मिलावट के बाद हर 100 लीटर शुद्ध से करीब 150 लीटर ‘सिंथेटिक दूध’ तैयार होता है, जिसकी कुल लागत आती है 4,200 रुपए। 150 लीटर शुद्ध दूध पर आने वाली करीब 6,000 रुपए की लागत को देखते हुए इसका मतलब है हर 100 लीटर शुद्ध दूध पर 1,800 रुपए का, या प्रति लीटर 18 रुपए का, मुनाफा—यानी प्रति लीटर करीब 50 फीसदी।
