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Srijan

4.5/5
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Description

अन्तरात्मा की आवाज ही रचना – सृजन का मुख्य आधार है और लेखन का मूल उद्देश्य समकालीन संवेदना की ओर ध्यान आकृष्ट करना है। समकालीन संवेदना को समेटने के बाद ही कोई साहित्यिक विद्या प्रासंगिक हो सकती है। कविता मेरे लिए अन्तर्मन की वह अनुभूति है, जो भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कागज पर अपने – आप उतर जाती है। मेरा यह मानना है कि व्यक्ति को अपने निजी दायित्वों के साथ – साथ समाज और राष्ट्र के प्रति भी सजग भाव से उत्तरदायी होना चाहिए। संकलित इस ‘ सृजन ‘ में आम आदमी की पीड़ा को शब्दों में उड़ेलते हुए तथा उनकी समस्याएँ, उनका दर्द जो मैंने स्वतः महसूस किया है, उसी अनुभव को मैंने इस काव्य संकलन में सृजित किया है।

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