Description
इतिहास एक गहरा सागर है। इस अथाह सागर में जो जितनी गहराई तक डुबकी लगायेगा, वह उतने ही तथ्य-रूपी मोतियों का स्वामी होगा। मैंने भी स्वयं के संसाधनों द्वारा प्राप्त श्रोतों से तथ्यों तथा कड़ियों को जोड़कर, इसे पुस्तकाकार रूप देना चाहा है। इसमें वर्णित तथ्य अंतिम सत्य नहीं हो सकते। इतिहास जैसे विषय पर नित नये हो रहे अनुषंधानित प्रतिपादनों को देखते हुए इसे अंतिम होने का दावा नहीं किया जा सकता।
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