उत्तर प्रदेश के हाथरस के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के गांव फुलरई में आयोजित एक सत्संग में मंगलवार को मची भगदड़ में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हैं. एटा के एसएसपी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि यह घटना फुलरई गांव में सत्संग में हुई, जिसमें शामिल होने के लिये बड़ी संख्या में लोग आए थे.
पीड़ितों को मृत अवस्था में या बेहोशी की हालत में ट्रकों तथा अन्य वाहनों में लाद कर सिकंदराराऊ ट्रामा सेंटर लाया गया. शवों को स्वास्थ्य केंद्र के बाहर रखा गया, जहां लोगों की भारी भीड़ एकत्र हो गई. जानकारी के मुताबिक आश्रम में चमत्कारिक पानी भी भक्तों को बांटा जाता था.
नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था. पटियाली तहसील में गांव बहादुर में जन्मे भोले बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो का पूर्व कर्मचारी बताता था. दावा है कि 26 साल पहले बाबा सरकारी नौकरी छोड़ धार्मिक प्रवचन करने लगे. भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं.
भोले बाबा के सत्संग में जो भी भक्त जाता है, उसे वहां पानी बांटा जाता है. बाबा के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि इस पानी को पीने से उनकी समस्याएं खत्म हो जाती हैं. बाबा का पटियाली तहसील के बहादुर नगर गांव में स्थित आश्रम में भी दरबार लगता है. यहां आश्रम के बाहर एक हैंडपंप भी है. दरबार के दौरान इस हैंडपंप का पानी पीने के लिए भी लंबी लाइन लगती थी.
पश्चिमी यूपी के अलीगढ़, हाथरस जिलों में भी नारायण साकार हरि का कार्यक्रम हर मंगलवार को आयोजित किया जाता है. इसमें हजारों की तादाद में भीड़ उमड़ती है. इस दौरान भोले बाबा से जुड़े हजारों स्वयंसेवक और स्वयंसेविकाएं खाने पीने से लेकर भक्तों के लिए जरूरी इंतजाम करते हैं. कोरोनकाल के दौरान प्रतिबंध के बावजूद भी भोले बाबा हजारों की भीड़ इकट्ठा करके चर्चा में आए थे.
इंटरनेट के जमाने में दूसरे साधु सतों और कथावाचकों से अलग बाबा सोशल मीडिया से दूर हैं. बाबा का कोई आधिकारिक अकाउंट किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नहीं है. सोशल मीडिया पर बाबा के प्रचार प्रसार के कई वीडियो पोस्ट नजर आ रही हैं.
प्रत्यक्षदर्शी शकुंतला देवी ने बताया कि सत्संग खत्म होने के बाद लोग जब आयोजन स्थल से निकल रहे थे, तो उसी समय भगदड़ मची. उन्होंने बताया कि लोग एक दूसरे के ऊपर गिरते चले गए. सिकंदराराऊ थाने के एसएचओ आशीष कुमार ने कहा कि भगदड़ वस्तुत: अत्यधिक भीड़ होने की वजह से हुई. सत्संग में शामिल होने के लिये अपने परिवार के साथ जयपुर से आयी एक महिला ने बताया कि सत्संग के समापन के बाद लोग एकदम से बाहर निकलने लगे, जिससे भगदड़ मच गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए अधिकारियों को राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. टीम गठित कर दुर्घटना के कारणों की जांच के निर्देश भी दिए हैं.
हाथरस भगदड़ में 27 लोगों की मौत हो गई है. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. साथ ही इस हादसे में 100 से अधिक श्रद्धालु घायल भी हो गए हैं. जानकारी के मुताबिक, ये आंकड़ें और बढ़ सकते हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे है कि आखिर में कौन हैं भोले बाबा, जिनके सत्संग में इतना बड़ा हादसा हुआ है.
कौन हैं संत भोले बाबा?
एक रिपोर्ट के अनुसार, संत भोले बाबा मूल रूप से कांशीराम नगर (कासगंज) में पटियाली गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि पहले वह उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुए थे, लेकिन 18 साल की नौकरी के बाद वीआरएस ले लिया. उन्होंने बताया कि वे अपने गांव में ही झोपड़ी बनाकर रहते हैं और उत्तर प्रदेश के अलावा आसपास के राज्यों में घूम कर लोगों को भगवान की भक्ति का पाठ पढ़ाते हैं. खुद भोले बाबा कहते हैं कि बचपन में वह अपने पिता के साथ खेती बाड़ी का काम करते थे. जवान हुए तो पुलिस में भर्ती हो गए. उनकी पोस्टिंग राज्य के दर्जन भर थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में रही है.
कोरोना काल में हुई थी लापरवाही
2 साल पहले भी जब देश में कोराना की लहर चल रही थी, उस समय उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में मई, 2022 में इनके सत्संग का आयोजन किया गया. जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 50,000 से अधिक लोग सत्संग में शामिल हुए थे. यहां उमड़ी भीड़ के चलते शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई.
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. हाथरस के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के गांव फुलरई में आयोजित भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मच गई. हादसे में 87 लोगों की मौत हो गई है. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. साथ ही इस हादसे में 100 से अधिक श्रद्धालु घायल भी हो गए हैं. इसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. सीएमओ ने इसकी पुष्टि की है. घटना की सूचना मिलने के बाद आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए हैं.
क्या है कारण?
भोली-भाली जनता के जिंदगियों को निगलने वाले बाबाओं को प्रश्रय यही नेता लोग देते हैं जो सत्ता सुख भोग रहे होते हैं। ये बाबा लोग हर सरकारों में फलते-फूलते रहते हैं। इस कार्यक्रम में कई हजार लोग मौजूद थे. कार्यक्रम के आयोजकों ने कार्यक्रम के लिए अनुमति मांगी थी. मगर जो प्रशासन को भक्तों की संख्या के बारे में जानकारी दी गई थी, उससे कहीं ज्यादा भक्त कार्यक्रम में मौजूद थे.