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‘अधिकारी चोर हैं और मैं चोरों का सरदार हूँ’ सुशासन पर सुधाकर ने उठाया सवाल

12 सितम्बर को कैमूर के एक कार्यक्रम में खुद को चोरों का सरदार बताने और सारे विभागों और बड़े सरदार होने की बात कृषि मंत्री ने कही थी। जिस पर सरकार को काफी बदनामी उठानी पड़ रही थी। 13 सितम्बर को जब कैबिनेट की मीटिंग शुरू हुई तो नीतीश कुमार ने सुधाकर सिंह को इस तरह के बयानबाजी नहीं करने के लिए टोका, जिस पर सुधाकर सिंह ने सीएम को पलटकर जवाब देते हुए कहा कि ”ऐसा है तो मैं इस्तीफा दे देता हूं।” इस दौरान कृषि मंत्री ने सीएम नीतीश को सीधा जवाब देते हुए कहा कि ”मैं जो भी कह रहा हूं, वह सच है। ये सच्चाई है कि कृषि विभाग के सारे अधिकारी चोर हैं और मैं चोरों का सरदार बन गया हूं।”

तेजस्वी यादव खामोश होकर देखते और सुनते रहे

बताया जा रहा है कि सुधाकर सिंह के सीधे जवाब से सीएम नीतीश समेत पूरा मंत्रिमंडल थोड़ी देर के लिए ख़ामोशी छा गई। जिस वक्त सुधाकर सिंह सीएम नीतीश कुमार को जवाब दे रहे थे, उस दौरान डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जवाब देने के बाद सुधाकर सिंह वहां से निकल गए। सुधाकर सिंह का जवाब सुन नीतीश कुमार सन्न रहे गए। जबकि तेजस्वी यादव खामोश होकर देखते और सुनते रहे।

नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से बात की

हालांकि एक टीवी चैनल से बात करते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि उन्होंने इस्तीफे की धमकी नहीं दी है और ना ही कैबिनेट बैठक में इस बारे में उनकी मुख्यमंत्री से कोई बात हुई है। वहीं दूसरी तरफ इस घटना के बाद कि नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से भी बात की। दोनों के बीच क्या बात हुई, इसके बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है। हालांकि देर शाम लालू यादव ने सुधाकर सिंह को राबड़ी आवास तलब किया था। जहां लालू प्रसाद ने सुधाकर सिंह को कैबिनेट के प्रोटोकॉल के बारे में बताया।

जेडीयू और आरजेडी के बीच बढ़ सकता है टकराव

दरअसल यह पूरा मामला मंत्री सुधाकर सिंह के उस बयान को लेकर गरमाया हुआ है, जिसमें उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को चोर और खुद को चोरों का सरदार बताया था। इस बयान को लेकर सीएम नीतीश इतने नाराज दिखे कि मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद ही उन्होंने इस पर मंत्री को ठोक डाला था। इसके बाद जो कुछ हुआ वह बात सबके सामने आ चुकी है। भले ही आधिकारिक तौर पर कोई बयान सामने नहीं आया हो लेकिन मंत्री सुधाकर सिंह ने जिस तरह नीतीश कुमार को जवाब दिया वह लगातार सत्ता के गलियारों से लेकर आम लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बन चुका है।

क्या शहाबुद्दीन के रास्ते पर बढ़ रहे हैं सुधाकर सिंह

14 सितम्बर को मंत्री सुधाकर सिंह ने प्रेस को सम्बोधित करने के दौरान कहा कि ” हमारे नेता लालू प्रसाद और तेजश्वी यादव हैं, वे कहेंगे तो त्यागपत्र दूंगा।” इस जवाब पर जब मीडिया ने कहा कि ‘नीतीश कुमार पर मो शहाबुद्दीन ने भी ऐसा ही बयान दिया था, उसके बाद जो हुआ सबके सामने है, तो क्या आप भी शहाबुद्दीन के रास्ते पर बढ़ रहे हैं?’ इस पर सुधाकर सिंह का जवाब था कि ”शहाबुद्दीन ही नहीं शारद यादव, जॉर्ज फर्णांडिस, दिग्विजय सिंह भी के साथ ऐसा ही हुआ। मैं अकेला नहीं हूँ। 4 माह जेल में रहकर आया हूँ।” ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि अपने ही कैबिनेट के सहयोगियों और मीडिया के सामने एक मंत्री की तरफ से बेइज्जत होने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या खून का घूंट पीकर रह जाएंगे। नीतीश कुमार को अपने कैबिनेट में बर्दाश्त करेंगे एक बड़ा सवाल है?

सुशील मोदी ने बिहार के कृष‍ि मंत्री सुधाकर सिंह पर चावल घोटाले का लगाया था आरोप

बिहार के पूर्व उप मुख्‍यमंत्री सुशील मोदी का राज्‍य के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह बडा हमला बोले 12 करोड़ के चावल घोटाले में बेल पर हैं सुधाकर उनको बचाने के लिए कानून बदल सकती है सरकार। सुशील मोदी ने प्रेस वार्ता में कहा कि 2013 में वर्तमान कृषि मंत्री पर कैमूर जिले के रामगढ़ थाने में 5.31 करोड़ रुपये के चावल घोटाले का केस दर्ज है।

वर्तमान में सरकार का ब्याज समेत 12 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। इसके लिए सुधाकर सिंह को जेल भी जाना पड़ा था। आरोप के मुताबिक सुधाकर सिंह की राइस मिल ने सरकार से चावल प्रोसेसिंग का एग्रीमेंट किया था। जो सरकार की ओर से चावल आया, उसका उन्होंने गबन कर लिया। इस घोटाले में 80 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हुईं, जिसमें कई आरोपी बनाए गए थे।

इनके ऊपर एसएफसी के करोड़ों रुपये के चावल गबन का आरोप है

एसएफसी ने साल 2013 में रामगढ़ थाने में गबन को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई है। यह मामला रामगढ़ थाने में कांड संख्या 184/13 के तौर पर दर्ज है। रामगढ़ सुधाकर सिंह द्वारा धान मिलिंग के लिए जो मिल रजिस्टर्ड कराया गया था ऊसमें सोन वैली राइस मिल और सुधाकर राइस मिल शामिल हैं। एसएफसी कैमूर से मिले दस्तावेज के मुताबिक सुधाकर राइस मिल सहूका में 365.30 मीट्रिक टन सीएमआर बकाया था, जिसकी कीमत 69,52133 रुपये थी, जिसमें विभाग द्वारा 10,50000 रुपये की रिकवरी की गई और अभी भी उनके ऊपर 59 लाख 02 हजार 133 रुपये सरकार के बकाया हैं। इसको लेकर एसएफसी द्वारा 35/2012-13 में नीलाम वाद दायर किया गया था, जिसके बाद रामगढ़ थाने में 184/13 कांड संख्या अंकित किया गया था।

दूसरे फर्म से भी है बकाया

उसी तरह से उनके द्वारा दूसरा फॉर्म रजिस्टर्ड कराया गया जो सोन वैली राइस मिल सहूका के नाम से था। इसमें सीएमआर 2424.91 मीट्रिक टन लौटाना था। जिसकी कीमत चार करोड़ 61 लाख 49 हजार 132 रुपये थी। जिसमें प्रशासन 50 लाख 50 हजार रुपये ही रिकवर कर पाई और इसमें भी सरकार का सुधाकर सिंह के सोन वैली राइस मिल सहुका के ऊपर चार करोड़ 10 लाख 99 हजार 132 बकाया है। जिसको लेकर 36/2012-13 में नीलाम पत्र वाद किया गया था और इस मामले में भी रामगढ़ थाने में 184/13 कांड अंकित किया गया था।