आज 27 जून को जन संघर्ष मोर्चा और बिजली उपभोक्ता महासंघ के संयुक्त तत्वधान में पांच सूत्री मांगों को लेकर सरकार के समक्ष महाधरना का आयोजन गर्दनीबाग पटना में किया गया। पांच सूत्री मांगों में सबसे प्रमुख प्रीपेड विद्युत मीटर जो बिल्कुल ही जनविरोधी है। सरकार इस मीटर को लगवाना अविलंब बंद करें, दूसरा अन्य राज्य सरकारों के तरह बिहार सरकार भी 300 यूनिट विद्युत उपभोक्ताओं को निशुल्क देने की गारंटी दे।
तीसरा पावर बिजली कंपनी द्वारा 10% बिजली दर में वृद्धि प्रस्ताव को बिहार सरकार या विनियामक आयोग उसे खारिज कर दे। चौथा कमर्शियल कूड़ा टैक्स और पानी टैक्स सरकार इससे कम अभिलंब करें। पांचवा सैदपुर-पहाड़ी नाला को पाटकर सड़क निर्माण कराने कि माननीय मुख्यमंत्री जी आप अपनी घोषणा को अविलंब पूरा करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जन संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष स पूर्व निगम पार्षद प्रदीप मेहता ने किया और कार्यक्रम के संचालन संयुक्त रुप से राजद नेता उमेश पंडित और शोषित समाज दल के नेता अखिलेश कुमार ने संयुक्त रूप से किया। धरना को संबोधित करते हुए अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रदीप मेहता ने कहा कि किसी भी दृष्टि से प्रीपेड विद्युत मीटर ना तो विद्युत उपभोक्ता के हित में है और ना तो विद्युत कर्मचारी के हित में है यह बिल्कुल ही जनविरोधी ,गरीब विरोधी, महिला विरोधी, किसान विरोधी और साथ-साथ कर्मचारी विरोधी भी है।
अभी हाल में ही 14 जून को पेसू के अलगअलग डिविजन 15 से 20 विद्युत उपभोक्ताओं का प्रीपेड मीटर का पैसा समाप्त हो गया और उनका बिजली आपूर्ति बंद हो गया उसके बाद उपभोक्ता प्रीपेड मीटर का पैसा जमा किया। लेकिन साइबर डाउन होने के कारण या साइबर गड़बड़ी के कारण विद्युत उपभोक्ताओं का विद्युत आपूर्ति चालू नहीं हुआ। परेशान होकर उपभोक्ता कदम कुआं में जाकर हल्ला हंगामा किया, तब जाकर विद्युत कर्मियों घर घर जाकर पुरानी पद्धति से बिजली बहाल किया ।
अब तो उपभोक्ताओं द्वारा यह भी साबित कर दिया गया है कि पुराना इलेक्ट्रॉनिक्स स्मार्ट मीटर के अपेक्षा प्रीपेड मीटर 30% अधिक बराबर बराबर लोड पर यूनिट उठा रहा है चुकी पहले उपभोक्ता के घरों में मीटर लगने से पहले उसे( एमआरटी) मीटर रीडिंग टेस्ट कर भोक्ता के घरों में लगाया जाता था लेकिन प्रीपेड मीटर सीधे विदेशी कंपनी से आकर ,बिना एमआरटी टेस्ट किए ही उपभोक्ता को डरा धमकाकर घरों में लगा दिया जा रहा है।
सरकार का यह कार्यकलाप भारतीय संविधान विशेषकर कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के बिलकुल ही विपरीत है जबकि केंद्र सरकार के नेतृत्व में 7 दिसंबर 2017 को दिल्ली में ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में सर्वसम्मति से निर्णय हुआ था कि प्रीपेड मीटर लगाना उपभोक्ताओं के लिए वैकल्पिक व्यवस्था होगी बाध्यकारी नहीं। प्रीपेड मीटर डरा धमका कर या जबरदस्ती लगाना विद्युत उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 के धारा 2/7 के विपरीत है।
मोर्चा का यह भी कहना है कि प्रीपेड मीटर को रिचार्ज करने के लिए स्मार्ट मोबाइल के साथ-साथ तकनीकी ज्ञान का होना भी जरूरी है लेकिन बिहार जैसे गरीब राज्य जहां नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 51 •91% आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने के लिए मजबूर है जहां 71 फीसदी व्यक्ति साक्षर है और वर्तमान में प्रीपेड मीटर में कितना यूनिट उठा उसकी अद्यतन जानकारी रखने के लिए 24 घंटा अपने मोबाइल को 4 00से ₹500 का नेट का पैकेज रिचार्ज रखना पड़ रहा है उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ रहा है।
बिहार सरकार प्रीपेड मीटर योजना पर बहुत तेजी से काम कर रहा है कारण की पूरा बिहार में मीटर लग जाने के बाद बिजली कंपनी या ऊर्जा विभाग को निजी हाथों में बेचे जाने की तैयारी चल रही है जिस प्रकार केंद्र सरकार पेट्रोल डीजल और गैस को निजी हाथों में सौंप कर उसके दामों पर नियंत्रण से बाहर हो गई ,उसी प्रकार जब ऊर्जा विभाग निजी हाथों में चला जाएगा, तब मनमानी तरीके से बिजली का रेट तय होगा और सब्सिडी भी समाप्त कर दी जाएगी।
इसलिए बिजली उपभोक्ता महासंघ के अध्यक्ष एवं संरक्षक राम भजन सिंह यादव जी ने कहा कि और अन्य राज्यों ने प्रीपेड मीटर लगाने के काम को रिजेक्ट कर दिया है तो बिहार प्रीपेड मीटर लगा कर जनता को शोषण और दोहन करने का काम कर रहा है उन्होंने मांग किया है कि अन्य राज्यों की तरह बिहार सरकार भी 300 यूनिट उपभोक्ताओं को निशुल्क आपूर्ति करने की गारंटी दे।
शोषित समाज दल के पटना जिला अध्यक्ष अखिलेश कुमार ने कहा कि बिहार पावर कंपनी ने 10% विद्युत दर्द वृद्धि का प्रस्ताव दिया है उसे खारिज कर दे चुकी 15 फरवरी के विनियामक आयोग के जनसुनवाई के बाद आयोग ने घोषणा किया था कि 2022 -23 में विद्युत दर में कोई वृद्धि नहीं होगा ,लेकिन 1 महीने बीतने के उपरांत फिर दोबारा विद्युत दर में वृद्धि के प्रस्ताव क्यों लाया गया? जबकि बिहार सरकार 7801 करोड़ का अनुदान बिजली कंपनी को दिया है इसलिए विनियामक आयोग या बिहार सरकार विद्युत दर में वृद्धि प्रस्ताव को खारिज कर दे।
मोर्चा के अध्यक्ष श्री मेहता ने चौथे मांगों के संबंध में कहा कि कमर्शियल कूड़ा टैक्स और पानी टैक्स जितना अधिक पटना में है उतना पूरे हिंदुस्तान के किसी भी नगर निगम में नहीं है इंदौर महानगर निगम स्वच्छता में प्रथम है और पटना नगर निगम का स्थान सबसे नीचे है और टैक्स के मामले में सबसे उपर है पर इसके बाद भी पटना स्वच्छ नहीं बन पाया ।
पांचवा और अंतिम मांग यह है कि सैदपुर-पहाड़ी को पाटकर सड़क निर्माण कराने की माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने दो बार घोषणा अपने मुख से किया है पहला घोषणा दिनांक 19 जनवरी 2018 सम्राट अशोका रिसर्च सेंटर के उद्घाटन के अवसर पर और दूसरा घोषणा दिनांक 12 मई 2022 को माननीय मुख्यमंत्री जी सैदपुर ट्रीटमेंट प्लांट के निरीक्षण के दौरान नाला को और गाढ़ा कर कवट करने के साथ-साथ सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के लिए दिशा निर्देश दिए थे।
इस संबंध में जन संघर्ष मोर्चा ने माननीय मुख्यमंत्री जी से करबद्ध प्रार्थना किया है कि सैदपुर पहाड़ी नाला को पाटकर सड़क बनाने की जल्द से जल्द कार्य को अमलीजामा पहनाया जाए। धरना को माले के विधायक माननीय श्री सुदामा प्रसाद जी ने संबोधित करते हुए कहा कि सरकार प्रीपेड मीटर के अनेकों खामियां न देखकर आनन फानन बिना होमवर्क किए हुए, बिना एमआरटी टेस्ट किए हुए उपभोक्ता डरा-धमका कर लगाने का काम कर रही है जो बिल्कुल जनहित में नहीं है और एक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के विपरीत है।
राजद के विधान पार्षद माननीय प्रोफेसर रामबली सिंह चंद्रवंशी जी ने भी धरना को संबोधित करते हुए जन संघर्ष मोर्चा के 5 सूत्री मांगों को समर्थन करते हुए कहा कि प्रीपेड विद्युत मीटर बिहार जैसे पिछड़ा राज्य के लिए उपयुक्त नहीं है इसके विरोध में मैं विधान परिषद में भी प्रश्न उठाने का काम करूंगा।
धरना संबोधन करने वालों में प्रमुख पूर्व पार्षद बलराम चौधरी, गिरजा शंकर प्रसाद, राजद नेता मोहम्मद जावेद, देव रतन प्रसाद, माले नेत्री शशि यादव, शकुंतला प्रजापति, शोभा देवी, राजेश रजक, विश्वजीत कुमार, विवेकानंद मेहता, राजद के प्रदेश महासचिव डॉ प्रेम गुप्ता, निर्भय अंबेडकर, जितेंद्र कुमार, राजनारायण अकेला, पंकज रजक, बिट्टू चौधरी, छोटू राम, संतोष वैश्य, सुदर्शन सिंह, संजीव श्रीवास्तव, मो सलीम, कौशलेंद्र कुमार, राजा बाबू , कुंवर बल्लभ यादव, अमोद कुमार, रामाश्रय वर्मा इत्यादि सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष उपस्थित थे।