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बिहार में नक्सलवाद के जनक माने जानेवाले के एकवारी के जगदीश मास्टर के दामाद हैं श्रीभगवान सिंह

कुशवाहा मतों पर लालू प्रसाद की मजबूत हो चली पकड़ से चिंतित जदयू ने हिंसक साम्यवाद से समाजवाद तक की यात्रा कर चुके श्रीभगवान सिंह को विधान परिषद भेजा। बिहार में नक्सलवाद के जनक माने जानेवाले भोजपुर जिले के एकवारी गाँव के जगदीश मास्टर के दामाद श्रीभगवान सिंह पहली बार जगदीशपुर से IPF(वर्तमान भाकपा माले) के टिकट पर जीतकर विधानसभा में आये थे।

29 मार्च 1993 की शाम भाजपा की मीटिंग से ट्रैक्टर पर लौट रहे 5 लोगों की अंधाधुंध फायरिंग में हुई हत्या में उनकी संलिप्तता की खबरें थीं

भाजपा की सभा से लौट रहे भोजपुर के आयर थाने के इचरी गाँव के पाँच राजपूतों की हत्या में उन्हें नामजद किया गया था। 29 मार्च 1993 की शाम भाजपा की मीटिंग से ट्रैक्टर पर बैठकर लौट रहे लोगों की लगभग दो दर्जन से अधिक अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर हत्या कर दी थी। घटना आटापुर गाँव के नजदीक नागा बाबा के मठिया के पास हुई थी।

30 वर्षों बाद 5 अप्रैल 2023 को सबूतों के अभाव में न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया

कहा गया था कि श्रीभगवान सिंह आइपीएफ के कमांडर रहे हैं और इस घटना में उनकी संलिप्तता है। हालाँकि, तीस वर्षों बाद 5 अप्रैल 2023 को सबूतों के अभाव में न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया। इचरी के ही अखिल भारतीय राष्ट्रीय किसान महासंघ के क्षेत्रीय प्रमुख बिनोद सिंह की हत्या में भी उन पर साजिशकर्ता होने का पर आरोप लगा था।

जनतादल के टिकट पर जगदीशपुर से ही उन्हें 2005 में पुनः जीत मिली

इचरी काण्ड में पुलिसिया दबिश से खासे परेशान श्रीभगवान सिंह ने राजद की सदस्यता ले ली थी। कालांतर में उन्होंने समता पार्टी और जनता दल यू की सदस्यता भी ग्रहण की। जनतादल के टिकट पर जगदीशपुर से ही उन्हें 2005 में पुनः जीत मिली। इस बीच उन्होंने रालोसपा, जनअधिकार पार्टी और लोजपा तक की यात्रा भी तय की। उन्होंने मंत्री का पदभार भी संभाला था।

2004 में आरा लोकसभा चुनाव में उतारना चाहते थे, लेकिन तब जॉर्ज पर अरुण कुमार की मजबूत पकड़ से अशोक वर्मा ने टिकट झटक लिया था

श्रीभगवान सिंह नीतीश कुमार के चहेते रहे हैं, लेकिन पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए उन्हें एक बार दल से निष्कासित किया गया था। उसके पूर्व नीतीश कुमार एनडीए के टिकट पर उन्हें आरा लोकसभा चुनाव में उतारना चाहते थे, लेकिन उन दिनों जॉर्ज पर अरुण कुमार की मजबूत पकड़ से अशोक वर्मा ने टिकट झटक लिया था।

जदयू कोटे से उन्हें विधान परिषद भेजा जाना, नीतीश कुमार की कुशवाहा मतों पर ढीली होती पकड़ की मरम्मती के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है

बहरहाल, उन्हें जदयू कोटे से विधान परिषद भेजा गया। इसे नीतीश कुमार की कुशवाहा मतों पर ढीली होती पकड़ की मरम्मती के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इसमें भाजपा की सहमति भी मानी जा रही है।