मुद्दा तय करने के बाद बीजेपी साइलेंट तरीके से बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा तय करेगी
हरियाणा और महाराष्ट्र का किला बचाने के बाद अब बीजेपी बिहार की मोर्चेबंदी में जुट गई है। बीजेपी धीरे-धीरे बिहार चुनाव का सियासी पिच तैयार कर रही है। मुद्दा तय करने के बाद अब बीजेपी साइलेंट तरीके से बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा तय करने में जुट गई है।
यही वजह है कि बिहार के मुख्यंमत्री का चेहरा कौन होगा के सवाल पर को पीछे कर बीजेपी अब जाति जनगणना जैसे बड़े मुद्दे पर एनडीए अब फ्रंटफुट पर खेल रही है। लोकसभा में पहले राजनाथ सिंह और फिर ललन सिंह ने जातियों की गिनती के मुद्दे पर विपक्ष की घेराबंदी की।
आगे कौन होगा बिहार का चेहरा नीतीश कुमार या … ?
जनता दल यूनाइटेड के मुखिया नीतीश कुमार ही इस बार भी मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे …? बिहार पहला राज्य है, जहां मजबूत स्थिति में होने के बावजूद बीजेपी ने अपने सहयोगी पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा चुनाव से पहले घोषित कर दिया था।
नीतीश कुमार करीब 18 साल से बिहार के मुख्यंमत्री पद पर काबिज हैं। 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई। इसके बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार को ही मिली। भ्रम बनाए रखने के लिए नीतीश के नाम की घोषणा बीजेपी ने अपने उन नेताओं से ही करवाया, जो सीएम पद के प्रबल दावेदार माने जाते रहे हैं।
बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं, जहां सरकार बचाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है। एनडीए इस बार 5 दलों के साथ मैदान में है। बीजेपी के अलावा जेडीयू, रालोमा, लोजपा (आर) और हम एनडीए गठबंधन में शामिल है।
दूसरी तरफ 6 दलों के साथ इंडिया गठबंधन भी मैदान में उतरेगी. इंडिया में कांग्रेस, आरजेडी, माले, सीपीआई, सीपीएम और वीआईपी पार्टी शामिल हैं।
चेहरा नहीं पहले मुद्दा सेट करने की कोशिश
बीजेपी मुद्दा तय करने में जुट गई है। बिहार में जाति की काट के लिए बीजेपी जाति जनगणना की मांग पर ही चोट कर रही है। संसद में संविधान पर बहस के दौरान राजनाथ सिंह ने इस पर कांग्रेस को खाका देने के लिए कहा। यह पहली बार है, जब जाति जनगणना की मांग पर सरकार की तरफ सकारात्मक रूख दिखाया गया है। राजनाथ सिंह ने बहस के दौरान यहां तक कह दिया कि सरकार इस पर बहस भी करा सकती है।
बिहार देश का पहला राज्य है, जिसने जाति आधारित सर्वे का डेटा जारी किया है। अब बिहार में इन्हीं आंकड़ों के आधार पर आरक्षण और अन्य हिस्सेदारी संबंधित मांगे की जा रही है। कहा जा रहा है कि बिहार के चुनाव में जाति सर्वे और उसके आंकड़े आधारित मुद्दे हावी रह सकते हैं।
महिलाओं को भी साधने की रणनीति इस बार सफ़ल होगी ?
जाति के साथ-साथ बिहार में एनडीए की कोशिश महिला मतदाताओं को साधने की है। महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में महिलाएं गेमचेंजर बनकर उभरी हैं। महिला मतदाताओं की वजह से कहा जा रहा है कि दोनों ही राज्यों की सरकार रिपीट हो गई।
बिहार में भी इसी वजह से महिलाओं को साधने की कवायद की जा रही है। नीतीश कुमार खुद महिलाओं को साधने के लिए महिला संवाद यात्रा निकाल रहे थे। लेकिन कहा जा रहा है कि ‘महिला संवाद यात्रा’ से फीडबैक लेने के बाद नीतीश कुमार कुछ बड़ी घोषणाएं करने वाले थे। इनमें ‘महिला सम्मान राशि’ बढ़ाने और स्वयं सेवी महिलाओं का ब्याज माफ करना शामिल हो सकता था।
इसके पहले ही राजद ने 15 दिसम्बर से ‘माई बहिन मान योजना’ की घोषणा कर यात्रा आरम्भ कर दी। अब 23 दिसम्बर से 28 दिसम्बर तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पुनः बिहार यात्रा पर निकलने वाले हैं। लेकिन इस बार यात्रा का नाम बदलकर ‘प्रगति यात्रा’ कर दिया गया है।