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Hamari Aawaj Aap Tak

■ बिहार में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। आज राजद, जदयू सहित बीजेपी जैसे राजनीतिक दलों की बैठकें हो रही हैं।
■ सभी की नजरें सीएम नीतीश कुमार के अगले कदम पर टिकी हैं – सूत्रों का मानना है कि भाजपा से अलग होने का फैसला कर चुके हैं नीतीश कुमार।

बिहार की राजनीति में मंगलवार का दिन काफी अहम होने जा रहा है । मौजूदा सियासी हालात पर राजनीतिक दलों की आज बैठकें होने जा रही हैं । जेडीयू अपने सांसदों , विधायकों के साथ बैठक करेगी । हम और कांग्रेस ने भी अपने नेताओं की बैठक बुलाई है ।

सूत्रों की मानें तो भाजपा के साथ गठबंधन में बने रहने को लेकर नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं । मंगलवार को कांग्रेस विधायकों की भी बैठक होने वाली है । हालक इन दला की बैठकों का एजेंडा क्या है यह अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन सियासी जानकार इसके अलग-अलग मतलब निकाल रहे हैं ।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महाराष्ट्र प्रकरण के बाद ही अंदाजा था कि भारतीय जनता पार्टी का अगला निशाना बिहार हो सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 43 सीटों पर सिमटी जदयू को मुख्यमंत्री पद देने के बाद भाजपा का जिस प्रकार का रवैया रहा, वह नीतीश कुमार को कभी रास नहीं आया।

एनडीए 125 सीटों तक पहुंच पाई। लेकिन, सीटों के गणित में नीतीश कुमार ऐसे पिछड़े कि कभी सत्ता की ड्राइविंग सीट पर बैठकर राष्ट्रीय पार्टी भाजपा को छोटे भाई की भूमिका देने वाले खुद उसी जगह पर आ गए। कम सीटों के बाद भी सीएम बना दिया गया, लेकिन इस बार वे ड्राइविंग सीट पर नहीं रहे। यहीं से भाजपा-जदयू के बीच की खाई बननी शुरू हुई।

मान गए तेजस्वी प्रसाद

तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ा। बिहार की राजनीति से लालू के प्रभाव को खत्म नहीं किया जा सकता है। लेकिन, तेजस्वी ने राजद में उनकी जगह पर खुद को फिट करना लोकसभा चुनाव 2019 से ही शुरू कर दिया था। बिहार चुनाव 2020 में तेजस्वी ने अपने दम पर 75 सीटों पर जीत दर्ज की और गठबंधन को 110 सीटों के आंकड़े तक ले गए। मतलब, 243 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण बहुमत के आंकड़े से महज 12 सीट पीछे रह गए।

भतीजा, चाचा के लिए सत्ता शीर्ष का त्याग करने को गये तैयार

तेजस्वी यादव इस समय बिहार की सत्ता से बाहर हैं। एआईएमआईएम के 5 विधायकों को पार्टी में मिलाने और बिहार चुनाव में 75 सीटों पर जीत के बाद उनके विधायकों की संख्या 80 पहुंच गई थी। पिछले दिनों विधायक अनंत सिंह की सदस्यता खत्म होने के कारण यह संख्या 79 पर आ गई है। इसके बाद भी वे विधानसभा में सबसे बड़े दल के मुखिया हैं। उनके साथ कांग्रेस के 19, भाकपा माले के 11, माकपा के 3 और भाकपा के 2 विधायकों का समर्थन है।

इस प्रकार उनके समर्थक विधायकों की कुल संख्या 114 तक पहुंचती है। यानी, बहुमत से 8 कम। ऐसे में तेजस्वी यादव के सामने नीतीश कुमार की शर्तों की मानने की कोई वजह नहीं है। राजद पहले ही संकेतों में कहती रही है कि तेजस्वी को प्रदेश की कमान मिले और नीतीश दिल्ली देखें। वहीं, नीतीश कुमार पटना छोड़ना नहीं चाहते। सीएम की कुर्सी पर भी अपनी शर्तों पर बने रहना चाहते हैं, चाहे सहयोगी कोई रहे।

गृह विभाग से लेकर शिक्षा, पथ निर्माण विभाग जायेगा राजद के खाते में

तेजस्वी यादव अब नंबर दो की कुर्सी नहीं चाहते थे …और मामला यहीं पर आकर अटका हुआ था। राजद और उनके सहयोगी दल भी भविष्य की सरकार में अपनी मजबूत दावेदारी चाहते हैं। मसलन, गृह विभाग से लेकर शिक्षा, पथ निर्माण, वित्त, वाणिज्य, उद्योग और श्रम संसाधन, ग्रामीण विकास और ग्रामीण कार्य विभाग तक पर राजद की ओर से दावेदारी है। इसमें से अधिकांश विभाग लंबे समय से जदयू के पाले में रहा है।

‘इंतजार करो और विपक्षी की रणनीति देखो ‘ पर आगे बढ़ रही थी BJP

दरअसल , सियासी गलियारे में चर्चा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल ( राजद ) के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं । इसे देखते हुए राज्य की सभी पार्टियां अपनी भावी रणनीति तैयार करने पर जुटी हैं । तो वहीं , भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) को नीतीश कुमार के अगले कदम का इंतजार है ।

वह ‘ इंतजार करो और देखो ‘ की रणनीति पर काम कर रही है । उसने अपने नेताओं को बयानबाजी करने से बचने की सलाह दी है । राजद और कांग्रेस दोनों खुलकर अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं लेकिन बिहार की सियासत में शतरंज के मोहरे बिछाए जाने लगे हैं । ऐसे में राज्य की सियासत में आज का दिन काफी महत्वपूर्ण होने जा रहा है ।

भाजपा के पास भी विकल्प कम नहीं

भारतीय जनता पार्टी के पास भी विकल्प की कमी नहीं है। जदयू का एक बड़ा खेमा राजद के साथ जाने के पक्ष में अभी नहीं दिख रहा है। कई नेताओं के बयान आ चुके हैं, जिसमें वे एनडीए की सरकार को खतरा नहीं बता रहे हैं। ऐसे में अगर नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदलने की कोशिश करते हैं तो असली खेल शुरू हो सकता है। भले ही आरसीपी सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया हो, लेकिन संगठन में उनकी पकड़ मजबूत है।

नीतीश कुमार के प्रभाव के कारण अभी पाले के विधायक खुलकर सामने नहीं आ रहे, लेकिन अंदरखाने में बगावत के बीज फूटने लगे हैं। अभी छोटे-छोटे स्तरों पर इस्तीफों का दौर शुरू हुआ है। भाजपा के पास अपने 77 विधायक हैं। सबसे बड़ा विधानसभा अध्यक्ष का पद उनके पास है, जिस पर विजय कुमार सिन्हा जैसे नेता बैठे हुए हैं। उनके पास आचार समिति की वो अनुशंसा है, जिस पर फैसला लेकर बाजी पलट सकते हैं।

बीजेपी आला कमान ने लालू परिवार से फ़ोन पर बात की

अभी-भी दिल्ली से बीजेपी आला कमान ने सरकार बनाने हेतु लालू परिवार से फ़ोन पर बात की। आज ही उप मुख्य मंत्री तारकिशोर प्रसाद के आवास 5 देशरत्न मार्ग में प्रदेश बीजेपी के आला अधिकारीयों और विधायकों-सांसदों की बैठक शुरू हो चुकी है। इसके अलावे, बीजेपी के खास नेताओं को दिल्ली बुला लिया गया है।