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Hamari Aawaj Aap Tak

अब ईडी, सीबीआई, आईटी और इओयू का इस्तेमाल में सावधानी बरतनी होगी

बिहार में काफी शक्तिशाली होकर उभरे नीतीश कुमार। “मोदी की गारण्टी” को रिजेक्शन मिला तो एनडीए की सरकार के होर्डिंग्स दिखने लगे। पहले भाजपा सरकार भी कहने की प्रथा मिटा दी गई थी तो एनडीए किस खेती की मूली था। बिहार में काफी शक्तिशाली होकर नीतीश कुमार उभरे हैं। गृह, वित्त, रेलवे सरीखे विभागों पर गिद्धदृष्टि जमी है, लेकिन अब विरोधियों के खिलाफ ईडी, सीबीआई, आईटी और इओयू का इस्तेमाल भूलना होगा।

अब तोड़ने की नीयत से जदयू को चिमटे से भी छूने से बचेगी भाजपा

केंद्रीय सत्ता में नीतीश कुमार की सहभागिता हुई तो महत्वपूर्ण विभाग तो मिलेगा ही, बिहार कैबिनेट में जदयू की मनमानी भी चलेगी। अब तोड़ने की नीयत से जदयू को चिमटे से भी छूने से बचेगी भाजपा, जदयू के खिलाफ लोजपा को मोहरा बनाना भूल जायेंगे नमो-शाह।

केंद्र सरकार में अब नीतीश कुमार की चलती होगी और चंद्रबाबू नायडू की भी मनमर्जी के बिना निर्णय नहीं होगा। परेशानी यह है कि दोनों क्षत्रप किन-किन विभागों और कितने मंत्रालयों पर मानेंगे। अब व्यक्तिवादी निर्णय पर पूर्णतः विराम लगेगा, अमित शाह की मनमर्जी रुकेगी और योगी आदित्यनाथ का किला सुरक्षित हो चुका है। अब उन्हें यूपी में छेड़ने की कोई हिम्मत नहीं करेगा।

भाजपा अब शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे, रमन सिंह, राजीव प्रताप रूढ़ी, शाहनवाज हुसैन, मुख्तार अब्बास नकवी, नितीन गडकरी सरीखे नेताओं की अनदेखी नहीं कर पायेगी। दरअसल अब मंत्री या सांसद कुछ बोल पायेंगे, आपत्ति या असहमति दर्शाने के लायक हो गए हैं।

विपक्ष मजबूत होगा इसलिए चेक एंड बैलेंस लोकतंत्र को मजबूत करेगा। सहयोगी जरूरी होंगे इसलिए तानाशाही पर अंकुश लगेगा। प्रतिनिधि और मंत्री मुखर होकर अपनी आवाज उठायेंगे। सत्ता पर अंकुश जरूरी है अन्यथा निरंकुश सत्ता अहंकारी हो जाती है।

दरअसल, लोकतंत्र में मुख्यमंत्री योजना और प्रधानमंत्री योजना से प्रतिनिधियों की भूमिका शून्य हो गई, उनका जनाधार गायब कर दिया गया। यह योजना लोकतंत्रतिक पद्धति को राजतांत्रिक स्वरूप देने से प्रेरित था। हुक्मरानों की कोशिश थी कि सांसदों-विधायकों की छवि में निखार को रोककर उन्हें पूरी तरह आलाकमान के ऊपर निर्भर बना दिया जाये। इसका परिणाम हुआ कि बम्पर जीत मिली तो आलाकमान गदगद होते गए, लेकिन एकतरफा हार पर जबरिया मुस्कुराहट बिखेर रहे।