देश में 232 से 253 के बीच फिसलती दिख रही है एनडीए, गोदी मीडिया के Exit Poll द्वारा ‘NDA को बहुमत प्राप्त’ का फेक प्रचार से हवा बनाना जारी
लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के सातों चरण के मतदान संपन्न हो गए। 543 लोकसभा सीटों के परिणाम ईवीएम में कैद हो गए हैं। अब लोगों को बेसब्री से इस बात का इंतजार है कि देश में अगली सरकार किसकी बनने जा रही है। क्या देश में तीसरी बार ‘मोदी सरकार’ आने वाली है या फिर कुछ उलटफेर होगा? विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ भी इस बार जीत का दावा कर रहा है। देश में अगली सरकार किसकी बनेगी, ये तो 4 जून को ही पता चल पाएगा, लेकिन उससे पहले एग्जिट पोल के रिजल्ट (Exit Poll Results) सामने आ गए हैं।
गोदी मीडिया के Exit Poll के मुताबिक, फिर से मोदी सरकार आ रही है। कॉरपोरेट मीडिया अपनी पार्टी भाजपा को जीताने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है, इसलिए जनता के मन को प्रभावित करने के लिए प्रायोजित Exit Polls द्वारा एनडीए (भाजपा) को 350 पार दिखाया जा रहा है, तो इंडिया गठबंधन को 125 से 160 सीटें दी जा रही हैं। यदि ऐसा होगा तो उम्मीद है कि 4 जून को भी ईवीएम से जिन्न निकलेगा।
‘बेबाक़ मीडिया नेटवर्क’ को कई श्रोतों से प्राप्त जानकारी और आंकड़ों के Poll of Exit Polls में कुछ राज्यों के जो निचोड़ सामने आया है, वह कुछ इस प्रकार है –
कुल सीट- 543/543 (NDA- 260-285, INDIA- 232 -253, OTH- 26-30)
उत्तर प्रदेश- 80 (NDA- 32-34, INDIA-46-48, BSP- 00, OTH- 00)
बिहार- 40 (NDA- 20 -22, INDIA- 18 -20, OTH- 00)
प. बंगाल- 42 (TMC- 26-28, BJP- 11-13, CONG+ 2-4, OTH- 00)
मध्य प्रदेश -29 (NDA- 24-26, INDIA- 3-5, OTH- 00)
कर्नाटक- 28 (NDA- 8-10, INDIA- 18-20, OTH- 00)
गुजरात- 26 (NDA- 23-25, INDIA- 1-3, OTH- 00)
राजस्थान- 25 (NDA- 17-19, INDIA- 6-8, OTH- 00)
महाराष्ट्र- 48 (NDA- 18-20, ΙΝDΙΑ- 28-30, OTH- 00)
विपक्ष का आरोप- फॉर्म 17C में गड़बड़ी कर ‘चुनाव आयोग’ कर सकता है एनडीए को 350 पार और इंडिया को 125 से 160 सीटें
लोकसभा चुनावों के बीच विपक्ष के कई राजनीतिक दलों ने वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। राजनीतिक पार्टियों का दावा है कि चुनाव वाले दिन वोटिंग प्रतिशत कुछ और होता है और एक हफ्ते बाद कुछ और। यहां तक कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17C की स्कैन्ड कॉपी अपलोड करने का आदेश दे।
543 सीटों में अगर कम अंतराल से हारनेवाली 150 सीटों में 5-6 प्रतिशत वोटों का हेर-फेर कर दिया जाय, तो आसानी से बहुमत प्राप्त किया जा सकता है
उल्लेखनीय है कि पूरे देश सभी 543 सीटों में अगर कम अंतराल से हारनेवाली 150 सीटों में 5-6 प्रतिशत वोटों का हेर-फेर कर दिया जाय, तो आसानी से बहुमत प्राप्त किया जा सकता है। पिछले कई चुनावों में देखा गया है कि बहुत-सी सीटें बहुत ही कम अंतराल से जीती गई हैं। बहुत ही कम अंतराल से पिछड़ रही सीटों पर इन 5-6 प्रतिशत वोट ही निर्णायक होते हैं।
चुनाव आयोग के विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘इस मामले की सुनवाई चुनाव के बाद होनी चाहिए’
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR और तृणमूल नेतृ महुआ मोइत्रा की तरफ से यह याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर तुरंत विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें मांग की गई थी कि चुनाव आयोग को वोटर टर्नआउट (मतदान प्रतिशत) की सही संख्या प्रकाशित करने और अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17सी प्रतियां अपलोड करने का निर्देश दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि- “कल छठा चरण है। हमारा मानना है कि इस मामले की सुनवाई चुनाव के बाद होनी चाहिए।”
2019 में BJP ने मारी थी बाजी
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया था। तब बीजेपी ने 303 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, कांग्रेस की झोली में सिर्फ 52 सीटें ही आई थी। YRSCP और DMK को 23-23, तृणमूल कांग्रेस के खाते में 22 और शिवसेना को 18 सीटें आई थीं। वहीं जेडीयू को 16 सीटें, समाजवादी पार्टी को 5 सीटें और बीएसपी को 10 सीटें हासिल हुई थीं।
उत्तर भारत में एनडीए-90-110, इंडिया-70-90 अन्य-5. दक्षिण भारत एनडीए-20-30, इंडिया-70-80 अन्य-25-30.
नौकरी पर मौन, बेरोजगारी पर मौन, महंगाई पर मौन, गरीबी पर मौन, पलायन पर मौन, किसानों पर मौन, बेटियों पर मौन, छात्रों पर मौन, शिक्षा पर मौन, मुद्दों पर मौन, पेपर लीक पर मौन, बिहार को विशेष राज्य के दर्ज़ा पर मौन
मोदी जी नकारात्मकता में इतने डूब चुके हैं कि विकास-निवेश और बिहार की बेहतरी के बारे में कभी कोई सकारात्मक बात नहीं करते? उदाहरण देखें- 𝟒𝟎 में से 𝟑𝟗 सांसद देने के बावजूद मोदी सरकार ने बिहार के लिए क्या किया? ये 𝟓 वर्ष में सिर्फ़ चुनाव में वोट लेने आते है, उसके बाद बिहार को दरकिनार कर देते हैं।
मोदी जी ने पाँच वर्ष में पांच प्रधानमंत्रियों की बात करते हुए खुद को सर्वश्रेष्ठ पीएम चेहरा बताया
इस चुनाव को बक्सर में जातियों के नाम से संबोधित न कर उन्होंने राममन्दिर और ओबीसी आरक्षण की सुरक्षा पर बात की थी। उन्होंने बक्सर में कैंसर संस्थान, हाईवे और मेडिकल कॉलेज की बात की। उन्होंने सवालिया लहजे में इंडिया ब्लॉक की ओर इशारा करते हुए पाँच वर्ष में पांच प्रधानमंत्रियों की बात करते हुए खुद को सर्वश्रेष्ठ पीएम चेहरा बताया। उन्होंने खुद को विश्व में भारत का नाम रौशन करनेवाला पीएम बताया जबकि विपक्ष को भारत की निंदा करनेवाली पार्टी कहा।
बिहार में एनडीए 22 से नीचे रहने के आसार
एन्टी इनकंबेंसी व लवकुश, माँझी, विन्द और चंद्रवंशी मतों में विभाजन से जहानाबाद और पाटलिपुत्र इंडिया ब्लॉक की झोली में जाता दिख रहा है। काराकाट में राजपूत मतों में विभाजन से इंडिया ब्लॉक की जीत आसान लगती है, जबकि नालंदा के कड़े संघर्ष में अंततः कौशलेंद्र कुमार को एज मिलता दिखता है।
पटना साहिब में एंटी इनकंबेंसी था और कायस्थ मतदाता शिथिल देखे इसलिए मतदान प्रतिशत कम दिखा। रविशंकर प्रसाद को एज मिलता दिख रहा है लेकिन मार्जिन काफी कम होगा। पटना साहिब सीट फिर से एनडीए की झोली में जा सकती है। पटना साहिब संसदीय क्षेत्र के कुशवाहा, पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ़ बंटे हुए हैं। पटना साहिब क्षेत्र में BJP प्रदेश अध्यक्ष का निजी पकड़ भी चुनाव परिणाम पर असर डाल सकता है।
स्वर्ण तबका पूरी तरह NDA के साथ है। उल्लेखनीय है कि कायस्थ समाज की बड़ी आबादी पटना में बसी हुई है। वही, राजद का कोर वोटर ‘यादव’ जिधर ‘वजन’ उधर ‘भजन’ की नीति पर दिख रहा है। जबकि, अति-पिछड़ा वर्ग अमूमन एनडीए के साथ खड़ा है। ख़ासकर, चंद्रवंशी समाज। महागठबंधन के उम्मीद्वार की ‘उच्च शिक्षा’ वाली रणनीति, आम जनता को आकर्षित करने में विफल दिख रही है। पटना साहिब संसदीय क्षेत्र में पटना के मेयर और बीजेपी के बहुसंख्य वार्ड पार्षद भी अहम भूमिका निभाते हैं।
पाटलिपुत्र में रीतलाल यादव और भाई वीरेंद्र को लेकर कुछ खबरें चल रही है लेकिन सिद्धार्थ सिंह का जलवा रहा है। फिर भी ओबीसी-दलित मतों में बड़ा विभाजन इंडिया ब्लॉक को एज देता दिखता है। खबरों के मुताबिक, मसौढ़ी में बड़ा गैप दिखेगा जबकि पालीगंज में गैप बढ़ेगा। फिर भी पाटलिपुत्र में अच्छी टक्कर है।
जहानाबाद में 80 प्रतिशत भूमिहार मतों पर काबिज रहे जबकि 10 प्रतिशत मत सुरेंद्र यादव और शेड 10 प्रतिशत चंद्रवंशी सहित अन्य को मिलने की खबर है। सुरेंद्र यादव जहानाबाद से सुरक्षित दिखते हैं और अंततः तीसरे नम्बर के कुछेक समर्थकों ने पहले नम्बर को समर्थन दिया है।
आरा में काँटे का संघर्ष है। लवकुश समीकरण बिखड़ा है और वैश्य मत भी बिखरते दिखे फलतः सुदामा प्रसाद भारी दिखते हैं। बक्सर में एनडीए के मतों में खासे विभाजन से सुधाकर सिंह सुविधाजनक स्थिति में लगते हैं क्योंकि ददन पहलवान बहुत कारगर नहीं दिख रहे थे। सासाराम की सीट पर एनडीए की फतह हो सकती है।