30 नवंबर की रात में राज्य निर्वाचन आयोग ने बिहार में नगर निगम चुनाव 2022 की नई तारीखों का ऐलान किया
बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने आखिर नगर निकाय चुनाव की नई तारीखों का ऐलान कर दिया है। इसके लिए बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने चिट्ठी भी जारी कर दी है। राज्य निर्वाचन आयोग की चिट्ठी के आते ही उम्मीदवारों का इंतजार खत्म हो गया है।
बिहार में नगर निकाय चुनाव पहले 10 और 20 अक्टूबर को होने थे, लेकिन आरक्षण को लेकर इन चुनावों पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। इसके बाद बिहार सरकार ने फिर से हाईकोर्ट का रुख किया था और अदालत को बताया था कि आरक्षण को लेकर कमिटी बना दी गई है। इसके बाद 30 नवंबर की रात में राज्य निर्वाचन आयोग ने बिहार में नगर निगम चुनाव 2022 की नई तारीखों का ऐलान कर दिया।
इन तारीखों को होंगे नगर निकाय चुनाव
राज्य निर्वाचन आयोग नए साल यानि 2023 से पहले बिहार नगर निकाय चुनाव को संपन्न करा लेगा। इसके लिए दिसंबर की तारीखों का ऐलान भी कर दिया गया है। ये तारीखें इस तरह से हैं।
पहले चरण का मतदान- 18 दिसंबर को पहले चरण का मतदान
पहले चरण की काउंटिंग- 20 दिसंबर को पहले चरण की मतगणना और नतीजे
दूसरे चरण का मतदान- 28 दिसंबर को दूसरे चरण का मतदान
दूसरे चरण की काउंटिंग- 30 दिसंबर को दूसरे चरण की मतगणना और नतीजे
नीचे आप राज्य निर्वाचन आयोग की चिट्ठी देख सकते हैं।
पटना. बिहार में नगर निकाय चुनाव पर एक बार फिर बड़ा ग्रहण लग गया है। नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण के लिए रिपोर्ट तैयार करने वाले बिहार राज्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। ऐसे में नगर निकाय चुनाव में फिर पेंच फंस गया है।
इस संबंध में भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक ट्वीट की है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अति पिछड़ा आयोग को डेडिकेटेड कमीशन पर रोक लगा दी है। भाजपा पहले से कह रही थी कि नया कमीशन बनाइए, परंतु नीतीश कुमार अपनी ज़िद पर अड़े रहे। फिर एक बार नीतीश कुमार का अति पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हो गया।
हाई कोर्ट केआदेश के बाद रद्द हुई थी चुनाव प्रक्रिया
पटना हाईकोर्ट ने कहा था कि बिहार सरकार ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आऱक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं किया है। कोर्ट ने पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य सीट करार देकर चुनाव कराने को कहा था। जिसके बाद सरकार ने पिछले चार अक्टूबर को पूरी चुनावी प्रक्रिया रद्द कर दी थी।
सरकार ने घोषणा की कि पिछड़ों पर रिसर्च कराया जायेगा। इस आय़ोग की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव में पिछड़ों के लिए आरक्षण तय किया जायेगा। बिहार के अति पिछड़ा वर्ग आयोग को इसका जिम्मा सौंपा गया। पटना हाईकोर्ट ने इसकी मंजूरी दे दी।