नायडू को राज्य में सरकार चलाने के लिए भाजपा की जरूरत नहीं, लेकिन नीतीश कुमार को इसकी जरूरत है
चुनाव परिणाम नरेंद्र मोदी की चुनावी और नैतिक हार है, लेकिन एनडीए की अपेक्षाकृत सरकार का गठन ज्यादा सहज है।इंडिया अलायन्स ने चंद्रबाबू नायडू को विशेष राज्य का दर्जा देने को सहमत हो चुके हैं, लेकिन नीतीश कुमार की भी यही माँग है। नायडू को राज्य में सरकार चलाने के लिए भाजपा की जरूरत नहीं, लेकिन नीतीश कुमार को इसकी जरूरत है। इसलिए 8-9 जून तक दिल्ली में भाजपा की सरकार बन जानी चाहिए।
नरेंद्र मोदी संभवतः चुनावी और नैतिक हार शायद स्वीकार नहीं करेंगे। चुनावी और नैतिक हार लेने की जबाबदेही लेकर राजीव गाँधी ने पहले सरकार बनाने से इंकार किया था। नमो शायद उस परंपरा का अनुसरण नहीं करेंगे। नीतीश कुमार नमो को विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ना ज्यादा आसान होगा लेकिन फिर बिहार की सत्ता पर नीतीश कुमार को खुली छूट भी रहेगी।
गडकरी की ताजपोशी नीतीश कुमार एवं चंद्रबाबू नायडू के साथ ही आरएसएस की पसंद होगी
इंडिया अलायन्स का संख्या के खेल में 272 का आंकड़ा छूना ज्यादा मुश्किल होगा। एनडीए की सरकार बनी तो मलाईदार विभागों की खींचतान होगी और नायडू व नीतीश इसके लिए नई चाल चलेंगे। सरकार एक बार बन जाएगी तो उतनी खींचतान नहीं होगी, लेकिन इंडिया अलायन्स की सरकार में ज्यादा खींचतान होगी। उसकी आयु कम होगी। ऐसे गडकरी की ताजपोशी नीतीश कुमार एवं चंद्रबाबू नायडू के साथ ही आरएसएस की पसंद होगी।
इस बारलोकसभा की 40 सीट पर हुए चुनाव में भाजपा और जेडीयू को 12-12 सीटें मिली हैं
बिहार में भी एनडीए को बड़ा झटका लगा है। 2019 में जहां एनडीए 40 में 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार यह संख्या घटकर 30 पर पहुंच गई है। लोकसभा की 40 सीट पर हुए चुनाव में भाजपा और जेडीयू को 12-12 सीटें मिली हैं। वहीं सहयोगी दल लोजपा (रामविलास) को पांच और हम को 1 सीटें मिली हैं। इंडिया गठबंधन की बात करें तो राजद को चार, भाकपा माले को 2 और कांग्रेस को 3 सीटें मिली हैं। वहीं एक निर्दलीय पप्पू यादव ने भी चुनाव जीता है। जीते हुए प्रत्याशियों की बात करें तो सवर्णों में सबसे अधिक राजपूत जाति के 6 उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। भूमिहार तीन, दो मुस्लिम कैंडिडेट भी चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। चुनाव जीतने वाले यादव कैंडिडेट की संख्या 7 है।
लोजपा रामविलास के टिकट पर तीन दलित जीते चुनाव
लोजपा (रामविलास) से हाजीपुर से चिराग पासवान(दलित), समस्तीपुर से शांभवी (दलित), जमुई से अरूण भारती (दलित), वैशाली से वीणा सिंह (राजपूत) और खगड़िया से राजेश वर्मा (वैश्य)। इस तरह से तीन दलित, एक राजपूत और वैश्य कैंडिडेट चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के टिकट पर जीतन राम मांझी (दलित) गया सीट से चुनाव जीते हैं।
कमजोर हुई गुजरात लॉबी, हांसिये पर गए अदानी
एनडीए हारी तो सारी जिम्मेदारी नमो-शाह की बनेगी। नकारा सांसदों को बार-बार टिकट देना, जमीनी मुद्दों की अनदेखी, जातिवादी व नफरत की राजनीति और बातों में उलझाकर, चालाकी कर चुनाव जीतने की रणनीति भारी पड़ी। सारे मजबूत भाजपाई नेताओं को हांसिये पर करना, विपक्ष को कमजोर करने के लिए ईडी, सीबीआई का दुरुपयोग, आर्थिकी, महँगाई व बेरोजगारी पर चुप्पी की राजनीति से मतदाता ऊब गए। अपने सहयोगियों को लगातार कमजोर करने की चालबाजी से भाजपा नेतृत्व पर भरोसे की कमी हुई।
भाजपा – 240
कांग्रेस – 99
समाजवादी पार्टी (सपा) – 37
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) – 29
द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) – 22
तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) – 16
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) – 12
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) – 9
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) – 8
शिवसेना – 7
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) – 5
युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) – 4
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) – 4
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) – 4
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग – 3
आम आदमी पार्टी (आप) – 3
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो)- 3
जनसेना पार्टी – 2
भाकपा (माले) (लिबरेशन) – 2
जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) – 2
विदुथलाई चिरुथैगल काची (वीसीके) – 2
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) – 2
राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) – 2
नेशनल कॉन्फ्रेंस – 2
यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी, लिबरल – 1
असम गण परिषद – 1
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) – 1
केरल कांग्रेस – 1
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी – 1
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) – 1
वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी – 1
ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट – 1
शिरोमणि अकाली दल – 1
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी – 1
भारत आदिवासी पार्टी – 1
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा – 1
मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) – 1
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) – 1
अपना दल (सोनेलाल) – 1
आजसू पार्टी – 1
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) – 1
निर्दलीय – 7