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नमो सिर्फ इंडिया ब्लॉक के चुनिंदे मेनिफेस्टो पर टिप्पणी करते रहे लेकिन अपना मेनिफेस्टो नहीं बतलाते

नमो ने बक्सर में जाति के नामों की चर्चा न कर आरक्षण, मंदिर, कैंसर संस्थान, हाईवे और भावी मेडिकल कॉलेजों की चर्चा के बाद पीएम चेहरा व मोदी के नाम पर वोट माँगे। बक्सर की चुनावी भीड़ में नमो के “फिर एक बार .. ” और “4 जून…..” के आह्वान के बाद का सन्नाटा चुनावी फिजां बता गया। नमो ने इशारे में खुद को राम, इंडिया ब्लॉक को असुर और चुनाव को यज्ञ बताया। नमो सिर्फ इंडिया ब्लॉक के चुनिंदे मेनिफेस्टो पर मनगढंत तरीके से टिप्पणी करते रहे लेकिन अपना मेनिफेस्टो नहीं बतलाते। एक बार फिर मत तो अपने चेहरे और पीएम के चुनाव को लेकर देने की अपील की। मंच पर गिरिराज सिंह भी मौजूद थे।

महँगाई, रोजगार और तीख लाख रिक्त पदों पर भर्ती की उन्होंने बात नहीं की

उन्होंने यहाँ भी अपना भावी रोड मैप नहीं बतलाया। उन्होंने महँगाई, रोजगार और तीख लाख रिक्त पदों पर भर्ती की बात नहीं की। उन्होंने लालू प्रसाद परिवार पर जमानत और अमानत जैसे शब्दों से निशाना साधते हुए राहुल गाँधी और अखिलेश यादव को भी टारगेट किया। उन्होंने बक्सर को राम के गुरु विश्वामित्र की भूमि कहते हुए असुर शक्तियों की नाश की ओर इशारा किया और इस चुनाव को यज्ञ बताया। मतलब नमो इस चुनाव में राम की भूमिका में हैं और इंडिया ब्लॉक असुर हो गया।

पाँच वर्ष में पांच प्रधानमंत्रियों की बात करते हुए खुद को सर्वश्रेष्ठ पीएम चेहरा बताया

इस चुनाव को बक्सर में जातियों के नाम से संबोधित न कर उन्होंने राममन्दिर और ओबीसी आरक्षण की सुरक्षा पर बात की। उन्होंने बक्सर में कैंसर संस्थान, हाईवे और मेडिकल कॉलेज की बात की। उन्होंने सवालिया लहजे में इंडिया ब्लॉक की ओर इशारा करते हुए पाँच वर्ष में पांच प्रधानमंत्रियों की बात करते हुए खुद को सर्वश्रेष्ठ पीएम चेहरा बताया। उन्होंने खुद को विश्व में भारत का नाम रौशन करनेवाला पीएम बताया जबकि विपक्ष को भारत की निंदा करनेवाली पार्टी कहा।

सुधाकर सिंह की स्थिति मजबूत कही जा रही है, लेकिन ददन पहलवान ने छपरा गोली-कांड के बाद यादव वोटों में मज़बूत सेंधमारी की है

बहरहाल बक्सर की बात करें तो मिथिलेश तिवारी की ढीली पकड़ मानी जा रही है और अश्विनी चौबे का विरोध चर्चाओं में है। अभी तक सुधाकर सिंह की स्थिति मजबूत कही जा रही है, लेकिन ददन पहलवान भी एक फैक्टर रहे हैं। खासकर, छपरा गोली कांड के बाद यादव वोटों में मज़बूत सेंधमारी की है।

बक्सर में बसपा ने बढ़ाया बढ़त

यहां यह उल्लेखनीय है कि बसपा प्रत्याशी भी धीरे धीरे पकड़ मजबूत करते जा रहे हैं। अनिल कुमार को जहां कुर्मी और रविदास समाज पूरी तरह समर्थन में है, वहीं भाजपा से नाराज़ और सुधाकर-जगदानंद सिंह के कुशवाहा और पिछड़ा-विरोधी मानसिकता के चलते कुशवाहा आदि वर्गों कर एक बड़ा वोट बैंक, बसपा प्रत्याशी की तरफ जाते दिख रहा है।

जगदानंद सिंह की मानसिकता पिछड़ों-दलितों के साथ भेदभाव की है?

जगदानंद सिंह पर आरोप लगता रहा है कि उन्होंने राजद में कुशवाहा जाति की भागीदारी रोकने और शाहाबाद के साथ पूरे राज्य में इस जाति के मजबूत नेताओं को साईड में लगाने का काम किया। कुशवाहा समुदाय के बेहद सम्मानित और राजद के वरीय नेता पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनने दिया। इनकी मानसिकता कुशवाहा को गुलाम बनाकर रखने की है। जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह, घोर जातिवादी, मनुवादी, सामंतवादी, शोषक और आरएसएस स्लीपर सेल के एजेंट हैं।

आज के तारीख में बक्सर संसदीय क्षेत्र में लड़ाई चतुष्कोणीय दिख रही है, जिसमें बसपा प्रत्याशी बढ़त हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं।