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Hamari Aawaj Aap Tak

एक समय था बिहार में ‘आरसीपी टैक्स’ लगता था ऐसा हम नहीं सोशल मीडिया पर लोग बोलते थे। अब आरसीपी ने एक पार्टी का गठन किया है जिसका नाम ASA (आप सब की आवाज) रखा है। इन्होंने भी अन्य नेताओं की तरह पार्टी गठन के बारे में बताया। इनका उद्देश्य सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना। अब आनेवाला समय बताएगा कितना अपनी पार्टी को बढ़ा पाते हैं और कितना सामाजिक न्याय को बढ़ावा दे पाते हैं।

आरसीपी, जो पहले नीतीश कुमार के करीबी थे बाद में बीजेपी में भी रहें। अब 140 सीटों पर चुनाव लडेंगे। राजनीतिक पार्टी कैसे चलती है, इसका अनुभव अब आरसीपी सिंह को है। नीतीश कुमार के लम्बे सहयोगी रह चुके हैं तो इन्होंने नीतीश कुमार के कामकाज को भी काफी नजदीक से देखा है।

खेला हो सकता है, समीकरण बिगड़ सकता है ?

पिछले चुनाव में चिराग पासवान ने कितना बड़ा खेल खेला था! असल में खेल चिराग नहीं पर्दे के पीछे से कोई और खेल रहा था, जिसमें चिराग ने कहा था- भाजपा से बैर नहीं, जदयू तेरी खैर नहीं! नतीजा नीतीश कुमार के सीटो में भारी कमी हुई। अब एक बार फिर से ये सवाल है- नीतीश कुमार को राजनीतिक मात देने के लिए आरसीपी ने नई पार्टी का गठन किसी के इशारे पर तो नहीं किया? …..अब थोड़ा-बहुत नुकसान नीतीश कुमार का होता है कि नहीं, यह समय तय करेगा।

बिहार में राजनीतिक बदलाव आ सकता है ?

बताते चलें एक समय लालू यादव के बेहद करीबी रहे थे रंजन प्रसाद यादव। जितने करीबी कभी नीतीश जी के आरसीपी सिंह थे। लालू यादव द्वारा अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति हेतु कभी रंजन यादव को दरकिनार कर दिया गया था। उसके बाद रंजन यादव ने ऐसी राजनीतिक रणनीति चली थी की लालू जी को काफी नुकसान हुआ था। …अब एक बार रंजन यादव की कहानी दुहराने के लिए आरसीपी सिंह तैयार हैं।

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