अकेले राजस्थान में ही 45,000 से ज्यादा मवेशियों की हुई मौत और 10 लाख से ज्यादा संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं
देशभर में लंपी वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। राजस्थान, गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश तक इस जानलेवा संक्रमण का प्रकोप देखने को मिला है। अकेले राजस्थान में ही 45,000 से ज्यादा मवेशियों की मौत हुई है और 10 लाख से ज्यादा संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इस बेकाबू संक्रमण के चलते अब लोगों को डर सताने लगा है कि कहीं ये वायरस जानवरों से इंसानों में ना फैल जा। इस बारे में एक्सपर्ट्स का क्या कहना है।
क्या है लंपी वायरस और कैसे फैलता है?
ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्युनाइजेशन (GAVI) का दावा है कि लंपी एक स्किन डिसीज है जो कैप्रीपॉक्स वायरस के कारण मवेशियों में फैलती है। ये गॉटपॉक्स और शिपपॉक्स फैमिला का वायरस बताया जा रहा है। यह वायरस संक्रमित पशु से दूसरे पशुओं में फैलता है। खून चूसने वाले कीड़े, मक्खी, मच्छर और खाने-पीने की दूषित चीजों से ये वायरस एक जानवर से दूसरे जानवर में ट्रांसमिट होता है। कुछ विशेषज्ञ दक्षिण अफ्रीका को इस बीमारी का मूल गढ़ मान रहे हैं।
क्या है लंपी वायरस के लक्षण?
विशेषज्ञों के मुताबिक, लंपी वायरस के संपर्क में आने के बाद मवेशियों को पहले हल्का बुखार आता है। इसके बाद उनके पूरे शरीर पर दाने निकल आते हैं। बाद में कुछ दाने गंभीर घाव में परिवर्तित हो जाते हैं। कुछ जानवरों में नाक बहने, मुंह से लार गिरने, दूध देने की क्षमता में कमी और मिसकैरेज जैसे लक्षण भी देखे गए हैं. एक्सपर्ट्स का दावा है कि आमतौर पर ये संक्रमण दो से तीन हफ्तों में खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। लेकिन इस दौरान पशु की देखरेख ना की जाए तो उसकी मौत भी हो सकती है।
क्या जानवरों से इंसानों में फैलता है लंपी वायरस?
पालतू जानवरों में फैल रही लंपी वायरस की बीमारी से देशभर के पशुपालक चिंता में हैं। लोगों को डर है कि ये बीमारी कहीं जानवरों से इंसानों में ना फैलने लगे। इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि लंपी वायरस के जानवर से इंसान में फैलने की संभावना लगभग ना के बराबर है। देश में अब तक ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया है। संक्रमित मवेशियों के पास रहने वाले इंसानों में भी बीमारी फैलने के साक्ष्य नहीं मिले हैं।
लंपी वायरस का इलाज
लंपी वायरस से संक्रमित पशु दो से तीन हफ्तों में खुद-ब-खुद ठीक हो जाते हैं। लेकिन तेजी से रिकवरी के लिए इन्हें एंटी-बायोटिक दिए जा सकते हैं। पिछले हफ्ते ही इसकी वैक्सीन (लंपी प्रो-वैक-इंड) लॉन्च हुई है। इस वैक्सीन का सक्सेस रेट 100 प्रतिशत बताया जा रहा है। हालांकि वायरस को रोकने लिए कुछ अन्य बातों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. संक्रमित पशुओं को बाकी पशुओं से अलग रखें। उनके रहने की जगह को साफ-सुथरा रखें। ऐसी जगहें मक्खी, मच्छर, कीट, पतंगों से मुक्त होनी चाहिए. खानी-पीने की चाजों में सफाई का विशेष ध्यान रखें।