भारत को चांद पर सफलता मिल गई है।।चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर उतर कर इतिहास रच दिया है. इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने तालियों के गड़गड़ाहट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे पहले ये जानकारी दी।
चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड कर लिया है। भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में भारत को ऐतिहासिक उपलब्धि दिलाई। 1962 से देशहित में अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए समर्पित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर इतिहास रचा है। 140 करोड़ भारतीयों को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है।
चंद्रमा पर जानेवाला चौथा और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना भारत
भारत दुनिया का चौथा देश है। लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बन गया है। भारत के मून मिशन चंद्रयान 3 के शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोलर हिस्से में 70 डिग्री अक्षांश के पास लैंडिंग होनी थी, जो सफलतापूर्वक हो चुकी है।
अमेरिका तक हमारे चंद्रयान के लिए दुआएं हो रही हैं। ऐसे में बिहारियों के लिए और ज्यादा गौरवान्वित करने वाली बात है कि बिहार के तीन युवा भी देश के इस वैज्ञानिक मिशन में अहम भूमिका निभा रहे थे।
चंद्रयान-3 मिशन भारतीयों के लिए तो गर्व की बात है ही लेकिन इसके साथ-साथ आज बिहार भी गौरवान्वित हो रहा है। इसकी सफलता में बिहार के तीन युवा वैज्ञानिकों की अहम भूमिका है। समस्तीपुर के अमिताभ, सीतामढ़ी के रवि कुमार और गया के सुधांशु कुमार चंद्रयान 3 मिशन के हिस्सा बने हैं। चंद्रयान 3 की चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग को लेकर पूरा देश उत्सुक है। इसरो (ISRO) के कई वैज्ञानिक इस पूरे कार्य में लगे थे।
जब तक चांद रहेगा तब तक अशोक स्तम्भ रहेगा
Chandrayaan-3 का “प्रज्ञान” चांद पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और ISRO ( Indian Space Research Organisation) का चिन्ह को स्थापित करेगा। चंद्रमा की सतह पर चलेगा। इस छोटे से रोबोट गाड़ी के पहिये पर ISRO और अशोक स्तंभ का स्टाम्प छपा है। लैंडर के चलने पर टायर के निशान की तरह ये दोनों लोगो छपते रहेंगे।
चंद्रमा का अपना कोई वायुमंडल नहीं, वहाँ हवा का कोई कॉनसेप्ट नहीं इसलिए ये निशान हज़ारों सालों तक रहेंगे
पृथ्वी से चंद्रमा का सिर्फ़ एक ही हिस्सा दिखाई देता है। पिछले हिस्से पर पहुँचना बेहद जटिल था। भारत इस उपलब्धि में पहला स्थान रखेगा। चंद्रमा के दोनों हिस्से बहुत अलग हैं उनमें रासायनिक और भौतिक अंतर है जिस से चंद्रमा और भी अधिक रहस्यमयी हो जाता है। दूसरे हिस्से के अध्ययन से ग्रहों पृथ्वी के बनने और अंतरिक्ष के अध्ययन में महत्वपूर्ण सूचनाएँ मिलेंगी।
अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो शायद हमारा कब्जा सत्यापित करता रहेगा
यह चंद्रमा पर भारत के पहुँचने का ऐतिहासिक कारण है। इस रेस में चीन और रुस दोनों के मिशन हाल ही में फेल हुए हैं। चन्द्रयान 1 चंद्रमा पर 2008 में पहुँचा था। लैण्डिंग के स्थान को “जवाहर पॉइंट” कहते हैं। इसके साथ ही अंतरिक्ष में क़ब्ज़े की होड़ और दबदबे को भी टक्कर मिलेगी। चंद्रमा तो चंद्रमा धरती पर अंटार्कटिका महाद्वीप पर भी जो पहले पहुँच रहा है उसने उतने हिस्से पर अपना दावा किया है। यही होड़ चंद्रमा पर भी लगी है।
भारत के चांद पर पहुंचने की उपलब्धि पर दुनिया के कई देशों ने बधाई दी है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को बधाई देते हुए कहा कि-” चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग विज्ञान और तकनीक की दुनिया में भारत की तरक्की को दिखाता है।”
भारत में जापान के राजदूत हिरोशी सुजुकी ने भारत की इस सफलता पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि- ” जापान चंद्रमा को एक्सप्लोर करने में सहयोग को बढ़ाने के लिए आशान्वित है।”
चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने से पहले जेफ़ बेज़ोस और एलन मस्क ने प्रतिक्रिया दी है
इसरो के एक पोस्ट पर अमेज़न के फाउंडर जेफ़ बेज़ोस ने लिखा कि- ”भारत के लिए उत्साहित हूं।” उन्होंने थ्रेड ऐप पर इसरो के एक पोस्ट पर लिखा, “रुटिंग फॉर इंडिया ! गुड लक, चंद्रयान-3″। वहीं, स्पेस एक्स और एक्स (ट्विटर) के प्रमुख एलन मस्क ने एक ट्वीट के जवाब में लिखा, “गुड फॉर इंडिया।”