छठ महापर्व एक ऐसी पूजा जिसमें कोई पंडित-पुजारी नहीं होता
किसानों के उत्सव छठ महापर्व एक ऐसी पूजा जिसमें कोई पंडित-पुजारी नहीं होता। जिसमें देवता प्रत्यक्ष हैं। जिसमें डूबते सूर्य को भी पूजते हैं। जिसमें व्रती जाति समुदाय से परे है। जिसमें सिर्फ लोकगीत गाते हैं। जिसमें पकवान (ठेकुवा) घर में बनते हैं। जिसमें घाट पर कोई उच्च-निम्न नहीं है। जिसमें प्रसाद अमीर-गरीब सब श्रद्धा से ग्रहण करते हैं।
किसान इस खुशी को सेलिब्रेट करते हुए प्रकृति का आभार व्यक्त करता है
धान की सुनहरी बालियों के घर आने, शरद ऋतू के शुभ आगमन के साथ ही किसानों के घरों में उत्सव का माहौल होता है। ऐसे में किसान इस खुशी को सेलिब्रेट करते हुए प्रकृति का आभार व्यक्त करता है और सूर्य और जल यानी नदी के प्रति कृतज्ञता जाहिर करते हुए ये कामना करता है कि हर वर्ष ऐसे ही आपकी कृपा बनी रहे जिससे समस्त मनुष्यो का कल्याण हो सके।
छठ महापर्व यह सिखाता है कि जो डूबता है, उसका उदय भी निश्चित है
‘दुनिया कहती है कि जिसका उदय हुआ है उसका अस्त होना निश्चित है’, लेकिन यह महापर्व यह सिखाता है कि जो डूबता है, उसका उदय भी निश्चित है। यह त्योहार समस्त धरा, जंगल, पहाड़, नदी, ताल को सुरक्षित एवम संरक्षित रखने का संदेश देता है। इसलिए आइए और यह संकल्प लीजिए कि जहाँ भी रहे पर्यावरण की सुरक्षा का विशेष ध्यान दें!
ऐसे सामाजिक सौहार्द, सद्भाव, शान्ति, समृद्धि और सादगी से तिरोहित सूर्य देव की आस्था के महापर्व ऐसे सामाजिक सौहार्द, सद्भाव, शान्ति, समृद्धि और सादगी से तिरोहित सूर्य देव की आस्था के छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं! पर्यावरण बचाओ… छठ मनाओ!!