धरती कहे पुकार के
आज 5 जून पर्यावरण दिवस है। 5 जून 1972 संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में तय हुआ था जो 5 जून 1973 से ‘पर्यावरण दिवस’ के रूप में पूरे विश्व में मनाया जा रहा है जिसमें लगभग 100 देश शामिल हुए थे। आज सामयिक संदर्भ में पर्यावरण दिवस पर पटना के अग्रणी समाजसेवी अखिलेश कुमार द्वारा भी पटना में कई स्थानों पर पेड़ लगाया गया। इस अवसर पर अखिलेश कुमार ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा-
”पर्यावरण दिवस पर शोषित समाज दल पटना जिला अध्यक्ष के नाते भावी वार्ड पार्षद प्रत्याशी वार्ड नंबर 16 के नाते पहले भी बहुत सारा पेड़ लगवाया। अपने बच्चों की शादी में भी मटकोरवा के जगह पर वृक्षा रोपण का कार्यक्रम किया। इस इलाके में लगभग 18 से 20 पेड़ महिलाओं द्वारा लगाई गई।”
आज 5 जून पर्यावरण दिवस के अवसर पर वार्ड नम्बर 16, 17 एवं 18 में संयुक्त रूप से वृक्षा रोपण का कार्य शुरू किया हूँ। जैसा कि मैं मानता हूं कि 100 पुत्र के समान एक वृक्ष होता है। मैं बैनर लिख दिया हूँ कि 100 पुत्र के समान एक वृक्ष होता है। आप 1 पेड़ लगाएंगे तो समझिए कि आपका 100 पुत्र के बराबर आपके जीवन में काम करेगा जिससे पर्यावरण बचेगा। जल-जीवन-हरियाली लोगों को बचेगा।”
जल, जंगल और ज़मीन के बिना प्रकृति अधूरी
”अपने स्वार्थ में बहुत से लोग पेड़ काटकर के ही से जंगल को खत्म कर रहे हैं जिससे गर्मी बहुत ज्यादा पड़ रही है, पानी की कमी हो रही है। धरती पर ऐसा मालूम पड़ता है कि आग लग जाएगा। अगर धरती को बचाना है तो फिर पेड़ लगाना जरूरी है। भाई सबको कहेंगे इस पेड़ को बचाइए और आप भी पेड़ लगाइए आपको भी जानवर को जीव-जंतुओं को यहां राहत मिलेगा।
पूरी दुनिया में आज के दिन प्रकृति को बचाने, उसे सुन्दर और अपनी गतिविधि को प्रकृति सम्यक बनाने की पुनः कसमे खाई जाएगी। कंक्रीट के विकास की रफ़्तार इतनी तेज हो गई कि हमने प्रकृति के साथ न सिर्फ बलात्कार किया, बल्कि उसकी अस्मिता पर ही आज प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।”
वर्तमान परिपेक्ष्य में कई प्रजाति के जीव जंतु एवं वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं। विलुप्त होते जीव जंतु और वनस्पति की रक्षा का विश्व प्रकृति दिवस पर संकल्प लेना ही इसका उद्देश्य है। जल, जंगल और जमीन, इन तीन तत्वों के बिना प्रकृति अधूरी है। विश्व में सबसे समृद्ध देश वही हुए हैं, जहाँ यह तीनों तत्व प्रचुर मात्रा में हों। भारत देश जंगल, वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है।
प्राचीन युग के अनेक भीमकाय जीवों का लोप क्यों हो गया और उस दृष्टि से क्या अनेक वर्तमान वन्य जीवों के लोप होने की कोई आशंका है? मानव समाज और वन्य जीवों का पारस्परिक संबंध क्या है? यदि वन्य जीव भूमंडल पर न रहें, तो पर्यावरण पर तथा मनुष्य के आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा? ”
विश्व प्रकृति की समस्या व तरीके
तेजी से बढ़ती हुई आबादी की प्रतिक्रिया वन्य जीवों पर क्या हो सकती है आदि प्रश्न गहन चिंतन और अध्ययन के हैं। इसलिए भारत के वन व वन्य जीवों के बारे में थोड़ी जानकारी आवश्यक है, ताकि लोग भलीभाँति समझ सकें कि वन्य जीवों का महत्व क्या है और वे पर्यावरण चक्र में किस प्रकार मनुष्य का साथ देते हैं।
विज्ञान के क्षेत्र में असीमित प्रगति तथा नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण आज का मानव प्रकृति पर पूर्णतया विजय प्राप्त करना चाहता है। इस कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। वैज्ञानिक उपलब्धियों से मानव प्राकृतिक संतुलन को उपेक्षा की दृष्टि से देख रहा है। दूसरी ओर, धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृध्दि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है।
पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों, प्राणियों और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहते हैं। वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं।
विश्व प्रकृति संरक्षण के उपाय व प्रयास
पर्यावरण प्रदूषण के कुछ दूरगामी दुष्प्रभाव हैं जो अतीव घातक हैं। जैसे, आणविक विस्फोटों से रेडियोधर्मिता का आनुवांशिक प्रभाव, वायुमण्डल का तापमान बढ़ना, ओजोन परत की हानि, भूक्षरण आदि ऐसे घातक दुष्प्रभाव हैं। प्रत्यक्ष दुष्प्रभाव के रूप में जल, वायु तथा परिवेश का दूषित होना एवं वनस्पतियों का विनष्ट होना, मानव का अनेक नये रोगों से आक्रान्त होना आदि देखे जा रहे हैं।
बड़े कारखानों से विषैला अपशिष्ट बाहर निकलने से तथा प्लास्टिक आदि के कचरे से प्रदूषण की मात्रा उत्तरोत्तर बढ़ रही है। जंगलों को न काटें कार्बन जैसी नशीली गैसों का उत्पादन बंद करें। उपयोग किए गए पानी का चक्रीकरण करें। ज़मीन के पानी को फिर से स्तर पर लाने के लिए वर्षा के पानी को सहेजने की व्यवस्था करें।
ध्वनि प्रदूषण को सीमित करें। प्लास्टिक के लिफाफे छोड़े और रद्दी काग़ज़ के लिफाफे या कपड़े के थैले इस्तेमाल करें। जिस कमरे मे कोई ना हो उस कमरे का पंखा और लाईट बंद कर दें। पानी को फालतू ना बहने दें। आज के इंटरनेट के युग में हम अपने सारे बिलों का भुगतान आनलाईन करें तो इससे ना सिर्फ हमारा समय बचेगा बल्कि काग़ज़ के साथ साथ पैट्रोल डीजल भी बचेगा।
ज्यादा पैदल चलें और अधिक साइकिल चलाएं। प्रकृति से धनात्मक संबंध रखने वाली तकनीकों का उपयोग करें। जैसे- जैविक खाद का प्रयोग, डिब्बा-बंद पदार्थो का कम इस्तेमाल। जलवायु को बेहतर बनाने की तकनीकों को बढ़ावा दें। पहाड़ खत्म करने की साजिशों का विरोध करें।