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नगर निकाय चुनाव 2022 का दूसरा और अंतिम चरण समाप्त, वार्ड प्रत्याशी पर हमला, प्रशासन लापरवाह

आज ही नगर निगम का चुनाव सम्पन्नहुआ और सम्पन्न होने के क्रम में पटना के वार्ड नम्बर 16 के प्रत्याशी अखिलेश कुमार पर जानलेवा हमला हो गया। अखिलेश कुमार खुद एक उम्मीदवार हैं। इस हमले को राजनीतिक तौर पर देखा जा रहा है। अपने ऊपर हुए हमले का विवरण देते हुए अखिलेश कुमार ने प्रशासन पर सक्रिय नहीं रहने की बात कही।

”पहले मुझे सूचना मिली की आपके कार्यालय पर दो लड़का तोड़-फोड़ कर रहे हैं, जल्दी आइए। मैं dps कॉलेज बक्सा बंद करने का इंतजार कर रहा था। यह सुनकर मैं वहां से आ ही रहा था कि सिद्धार्थ राज के ऑफिस के कॉर्नर पर जो भी पूर्व प्रत्याशी हैं, दो लड़का जानलेवा हमला कर दिया। किसी ने हमें बचाने की भी कोशिश की और मैं वहां से भागा और वहां से भागने के दरमियान पीछे से लोग मारने के लिए दौड़ रहे थे। मैं किसी तरह से बच्चा बाबू के मकान में घुस गया और अंदर से दरवाजा लगा लिया।”

जो लोग हम पर हमला कर रहे थे उनका चेहरा याद है

”चेहरा हम देखे थे विनय महतो का लड़का तथा और दो लड़का था। दोनों ने ऐसा हमला किया की मेरा माथा पटका गया जमीन पर। उनके बाद मुंह पर मारा तो दांत से मुंह में चोट लग गई और मार-पीट में शायद मेरा पैर टूट गया या मोच आ गया, पता नहीं। अब यह तो x ray के बाद पता चलेगा। लेकिन बहुत दर्द हैं, बर्दाश्त के बाहर है। सीना में दो-तीन फेट मारा। सीना में भी दर्द हो रहा है, माथा में भी दर्द हो रहा है। फिर प्रशासन आया और आश्वासन दिलाया तो मैं वहा से निकला। लेकिन प्रशासन भी हमे यह तक नहीं लाया मैं दूसरे के मदद से स्कूटी से गर्दनीबाग पहुँचा। अभी गर्दनीबाग में सुई पड़ा। प्रशासन कोई एक्शन नहीं लिया और चुप चाप चला गया।”

प्रत्याशी के सुपुत्र पर भी हुआ हमला

पटना के वार्ड नम्बर 16 के प्रत्याशी अखिलेश कुमार के सुपुत्र पर भी हुआ हमला हुआ था। उनका कहना है- ”साफ-साफ राजनीति दिख रहा है। इसमें व्यक्तिगत मामला तो कुछ है नहीं क्योंकि हमलोग एक फैमिली तो हैं नहीं। सामने से हम पर जानलेवा हमला किया। पापा पर हमला हुआ, ऑफिस पर हमला हुआ। उस क्रम में हम अपने ऑफिस जा रहे थे। रास्ते में सिद्धार्थ राज का ऑफिस पड़ता है और उनके कार्यकर्ता लोग सिद्धार्थ राज, मोर्चा आदि मेरे उपर जानलेवा हमला किया। मुझे देखते ही मेरे पर टूट परे मारने के लिए। और जैसा आप देख सकते हैं मेरे पीठ पर सूजने का निशान हो गया है। दीवाल में सटाकर और बाल पकड़कर बहुत मारा मुझे। तीन-चार लोग मोहल्ले के थे जो छुरवाए। मुझे दो-तीन मारने वाले थे एक रिशु महतो, दूसरे उनके बड़े भाई और एक का नाम भूल रहे हैं।”

पटना नगर निगम पर चुनाव में मेयर पद के 32 उम्मीदवार, जीत के रेस में हैं कई दावेदार, कुछ तो दूर-दूर तक नहीं

बिहार में दूसरे चरण में बिहार के 17 नगर निगम पर चुनाव हुए, लेकिन सबकी नजरें पटना नगर निगम पर टिकी हैं। इस बार मेयर पद का चुनाव सीधे जनता कर रही है, जबकि इससे पहले हर बार जनता से चुने हुए वार्ड पार्षद ही मेयर और उप मेयर का चुनाव करते थे। पटना नगर निगम में 32 प्रत्याशी मेयर पद के लिए मैदान में हैं लेकिन ऐसे कई प्रत्याशी हैं जिनके बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है।

सबसे खास मुकाबला पटना की पूर्व मेयर रह चुकीं सीता साहू और अफजल इमाम के बीच माना जा रहा है। इस बार के चुनाव से पहले सीता साहू पांच साल तक पटना की मेयर थीं। वहीं सीता साहू से पहले पांच साल तक अफजल इमाम मेयर रह चुके हैं। दोनों पटना के आलमगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। इस बार भी दोनों आमने-सामने मैदान में हैं। इन दोनों की चर्चा इसलिए हो रही है कि दोनों ही मेयर रह चुके हैं लेकिन इस बार सीधे जनता चुन रही है तो नजरें टिकी हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े?

जनता किस पर विश्वास करती है, कौन बाजी मारेगा यह तो 30 दिसंबर को पता चलेगा लेकिन जो आंकड़े बताते हैं उसके हिसाब से अफजल इमाम का पलड़ा भारी पड़ता दिख रहा है। बिहार में निकाय चुनाव पार्टी लेवल पर नहीं हो रहा है, लेकिन अधिसंख्य प्रत्याशी पार्टी के समर्थित लोग ही मेयर पद के लिए उम्मीदवार हैं। सीता साहू बीजेपी में सक्रिय रूप से समर्थित रही हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी सीता साहू को जिताने के प्रयास में जुटी है। अफजल इमाम जेडीयू के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं पार्टी के कार्यकर्ताओं का रुझान अफजल इमाम की ओर माना जा रहा है। इस मामले में भी अफजल इमाम भारी पड़ रहे हैं क्योंकि मुस्लिम समुदाय से मात्र एक वही चुनाव मैदान में हैं।

पटना नगर निगम में लगभग साढ़े तीन लाख मुस्लिम वोटर हैं जबकि बीजेपी समर्थित कई उम्मीदवार हैं। अगर बीजेपी के वोटरों में बंदरबांट होता है और मुस्लिम समुदाय के वोटर पर अफजल इमाम की पकड़ बनी रहती है तो सीता साहू का खेल बिगड़ सकता है। जेडीयू का वोट बैंक अफजल इमाम को मिलता है तो मेयर पद के लिए वह बाजी मार सकते हैं। 

विनीता बिट्टू सिंह भी प्रबल दावेदार

हालांकि जेडीयू कार्यकर्ता रहे बिट्टू सिंह की पत्नी विनीता बिट्टू सिंह भी चुनाव मैदान में हैं और मेयर पद के लिए प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। बिट्टू सिंह की बड़े व्यवसायी के रूप में उनकी पहचान है। पटना में हजारों लोग उन पर आश्रित रहते हैं. माना जा रहा है कि पटना नगर निगम में उनकी पकड़ अच्छी है. ऐसे में त्रिकोणीय लड़ाई भी हो सकती है।

वैसे पटना नगर निगम में सबसे ज्यादा वोट कायस्थ समाज का है, लेकिन कायस्थ समाज से तीन लोग मेयर पद के लिए दावेदार हैं। हालांकि माला सिन्हा को समाज के प्रबुद्ध लोगों ने अपना चेहरा माना है लेकिन वोटरों में बंदरबांट होता है तो फिर सीधा फायदा जेडीयू समर्थित प्रत्याशियों को हो सकता है क्योंकि कायस्थ समाज बीजेपी के वोटर माने जाते हैं। यही कारण है कि पटना शहर में दो विधायक कायस्थ समाज से ही आते हैं। पटना साहिब लोकसभा सांसद भी कायस्थ समाज के ही हैं. कुल मिलाकर समीकरण देखा जाए तो अफजल इमाम मेयर के दौड़ में आगे निकल रहे हैं। वहीं कई ऐसे भी प्रत्याशी हैं जो रेस में दूर-दूर तक नहीं हैं।