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जहानाबाद के सांसद चंदेश्वर चंद्रवंशी ने औरंगाबाद-अरवल-बिहटा रेल लाइन को अपने चुनावी प्रचार के एजेंडे में जोड़ा

”औरंगाबाद-अरवल-बिहटा रेल लाइन के लिए इस वर्ष के अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने 376 करोड़ रुपये की बजट मंजूरी दी है। मोदी सरकार की दूरदर्शिता की वजह पहली बार रेल से सीधे जुड़ेगा अरवल जिला।” ये पंक्तियाँ जहानाबाद के सांसद चंदेश्वर चंद्रवंशी ने अपने चुनावी प्रचार के लिए प्रचारित की है।

”मैं औरंगाबाद-अरवल-बिहटा रेल लाइन के लिए हमेशा आवाज उठाता रहा हूं। हमने लोकसभा में भी इस रेल खंड के जल्द से जल्द निर्माण के लिए आग्रह किया था और दर्जनो बार रेल मंत्री जी और रेलवे बोर्ड अधिकारियो से मिलकर इस संबंध में चर्चा की थी। परिणामस्वरूप 118 किलोमीटर लंबे औरंगाबाद-अरवल-बिहटा रेल लाइन के लिए इस वर्ष के अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने 376 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।”

”इस प्रस्तावित रूट पर 14 नए रेलवे स्टेशन बनेंगे और अरवल, जहानाबाद सहित कई जिलों के लगभग एक करोड़ यात्री लाभान्वित होंगे। विक्रम, दुल्हिन बाजार, पालीगंज, बारा, अरवल, खभैंणी, मेहंदिया कलेर, शमशेर नगर, दाउदनगर, ओबरा और भ्रथौली में रेलवे स्टेशन बनाया जाएगा। अरवल जिले के रेल लाइन से जुड़ जाने के बाद जिले और आसपास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विकास हो पाएगा।”

16 अक्टूबर 2007 को पटना जिला के पालीगंज मैदान में लालू प्रसाद यादव ने रेल लाइन निर्माण का आधारशिला रखी थी

विदित हो कि, 16 अक्टूबर 2007 को पटना जिला के पालीगंज मैदान में लालू प्रसाद यादव ने रेल लाइन निर्माण का आधारशिला रखी थी। सात वर्षों तक यह योजना मृतप्राय रही, इसके बाद पटना, औरंगाबाद और अरवल जिले के लोगों ने 2014 में आंदोलन की शुरुआत की। बिहार से लेकर दिल्ली तक आंदोलन चला। लगातार चले आंदोलन बाद पिछले वर्ष से इस परियोजना के लिए राशि मिलनी शुरू हुई।

तीन जिले के 90 लाख लोगों को होगा फायदा

रेल परियोजना शुरू होने से पटना, औरंगाबाद और अरवल जिले के 90 लाख लोगों सीधा रेल लाइन से जुड़ जाएंगे, जिससे इस क्षेत्र के लोगों को कई तरह के विकास के मार्ग खुल जाएंगे। तीनों जिले के व्यापारी, किसान, मजदूर और छात्र-छात्राओं को यातायात के नए साधन मिल जाने से परेशानी कम होगी। सड़क मार्ग से यात्रा करने की निर्भरता समाप्त हो जायेगी। जिले वासियों को समय के साथ पैसे की भी बचत होगी।

रेल लाइन से जुड़ जाने के बाद अरवल की तस्वीर व तकदीर दोनों बदल जाएगी। जिले में विकास को पंख लग जाएंगे। पिछले 16 वर्षों से औरंगाबाद-बिहटा रेल लाइन के लिए आंदोलन चल रहा है।