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लाल कृष्ण आडवाणी भरत रत्न पाने वाले 50वीं व्यक्ति

भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में गिने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को 96 साल की उम्र में भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान देकर केंद्र सरकार ने राजनीति में उनके योगदान का सम्मान किया है। जनसंघ की स्थापना के वक्त से लेकर भाजपा को शीर्ष तक पहुंचाने में उनका योगदान रहा है। केंद्र सरकार ने नए साल 2024 में दो महत्वपूर्ण बड़ी राजनीतिक हस्तियों को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा है।

जनवरी में कर्पूरी ठाकुर को केंद्र ने दिया था भारत रत्न

जनवरी में बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और प्रखर समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को यह सम्मन देने की केंद्र सरकार ने घोषणा की थी। आज 3 फ़रवरी को भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा हो गई। पहले ऐसे सरकारी सम्मान अक्सर विवादों में रहते आए हैं, लेकिन पिछले एक दशक से केंद्र द्वारा दिए जा रहे सम्मान पर शायद ही कोई सवाल खड़ी करने की कोशिश करता है।

कर्पूरी के बाद अब लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न केंद्र सरकार ने लालकृष्‍ण आडवाणी को देश का सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान ‘भारत रत्‍न’ से सम्‍मानित करने की घोषणा की है। हर साल कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय और असाधारण योगदान के आधार पर भारत रत्न देने की परंपरा 70 साल पुरानी है।

बीते 70 साल में 50 लोगों को मिला भारत रत्न सम्मान

पहली बार 2 जनवरी 194 को तीन लोगों को भारत रत्न का सम्मान मिला था। उनमें राधाकृष्णन, राजगोपालाचारी और सीवी रमण के नाम शामिल थे। वर्ष 2024 में कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर मरणोपरांत उन्हें यह सर्वोच्च सम्मान देने की केंद्र सरकार ने घोषणा की थी। 70 साल में भारत रत्न प्राप्त करने वाले लालकृष्ण आडवाणी 50वें व्यक्ति हैं। जिन लोगों को अभी तक भारत रत्न का सम्मान मिला हैं, उनमें 17 हस्तियां ऐसी रहीं, जिन्हें मरणोपरांत सम्मान मिला

भारतीय राजनीति में आडवाणी का उल्लेखनीय योगदान

अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में 8 नवंबर 1927 को जन्मे लालकृष्ण आडवाणी भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद भारत आ गए थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर में हुई थी। गवर्नमेंट कॉलेज, मुंबई से उन्हों कानून की डिग्री ली। आज उनकी गिनती भारत के कुछ चुनिंदा और जीवित पुराने जनसंघ के नेताओं के आधार स्तंभ के रूप में होती है। आज की भाजपा के संस्थापकों में वे अग्रणी पंक्ति के नेता रहे।

देश में हिन्दू आंदोलन को उन्होंने नई दिशा दी। राम मंदिर निर्माण के लए उनकी रथयात्रा किसी के जेहन से नहीं उतरती। पहली बार देश में भाजपा की सरकार अगर बनी तो इसका श्रेय लाल कृष्ण आडवाणी को ही जाता है। आडवाणी ही हिन्दुओं के बीच राम रथयात्रा के बहाने नई चेतना का संचार किया, जिसे भाजपा आज तक भुनाती रही है। केंद्र में अगर लगातार दो टर्म से भाजपा के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी की सरकार बनती रही है तो इसके पछे लाल कृष्ण आडवाणी के योगदान को भुलाना उनके प्रति कृतघ्नता होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आडवाणी को ‘भारत रत्न’ की घोषणा कर पुराने कयासों पर पर्दा डालने की कोशिश की है ?

भारतीय राजनीति में इस बात की अक्सर चर्चा होती रहती थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व उप प्रधानमंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आपसी संबंध ठीक नहीं रहे हैं। इसीलिए कई बड़े मौके पर लालकृष्ण आडवाणी को अलग-अलग कारणों का हवाला देकर नजर अंदाज भी किया जाता रहा है।

अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा करके अब तक के सारे कयासों पर पर्दा डालने की कोशिश की है। अब भाजपा के पुराने व दरकिनार किए गए लोगों को भाजपा सरकार से एक नयी उम्मीद दिखेगी।  लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के ऐसे दूसरे बड़े नेता होंगे, जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। इसके पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिया जा चुका है। 

लाल कृष्ण आडवाणी ने ही बीजेपी को शीर्ष तक पहुंचाया

1942 से संघ के कार्यकर्ता लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक कैरियर 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के तौर पर शुरू हुआ था। आडवाणी 1970 से 1972 तक जनसंघ की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा 1973 से 1977 तक जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर काम किया। 1970 से 1989 तक लालकृष्ण आडवाणी चार बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में संसद में अपनी मौजूदगी प्रदर्शित करते रहे। इसी दौरान 1977 में जनता पार्टी के महासचिव पद के पर भी काम करने का मौका मिला।

1977 से 1979 तक वह केंद्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी जनता पार्टी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री का दायित्व संभाला। भाजपा के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद वह 1986 से 1991 तक और उसके बाद 1993 से 1998 तक और फिर 2004 से 2005 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली और भारतीय जनता पार्टी को एक नई ऊंचाई दी ।

लालकृष्ण आडवाणी 1989 में नवीं लोकसभा के लिए दिल्ली से पहली बार सांसद चुने गए। उसके बाद 1989 तक 1991 तक वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी काम किया। 2015 में मिला था पद्मविभूषण 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में वह गुजरात की गांधीनगर सीट से लोकसभा सांसद चुने जाते रहे।

1998 से लेकर 2004 तक वह एनडीए की सरकार में गृहमंत्री रहे और फिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2002 से 2005 तक उप प्रधानमंत्री की भी भूमिका निभाई। 2015 में उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों दिया गया था।