भूमि की ई -मापी के लिए सुविधा शुरू अधिकतम 30 दिनों में होगा निबटारा
बिहार में पहली बार जमीन मापी में समय सीमा की व्यवस्था लागू किया गया है। ऑफलाइन या ऑनलाइन आवेदन प्राप्ति के 30 दिनों में निश्चित रूप से मापी कर दी जायेगी। साथ ही मापी की रिपोर्ट आवेदक को उपलब्ध करा दी जायेगी। ऑनलाइन आवेदक को ऑनलाइन और ऑफ लाइन आवेदक को ऑफ लाइन मापी रिपोर्ट उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई।तत्काल व्यवस्था के तहत 10 दिनों में तो सामान्य स्थिति में 30 दिनों में जमीन की मापी होगी।
शहरी क्षेत्र के जमीन मापी के लिए 2000 रूपये प्रति खेसरा तथा 8000 रूपये 4 या अधिक खेसरों के लिए शुल्क निर्धारित किया गया है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के जमीन मापी के लिए 1000 रूपये प्रति खेसरा तथा 4000 रूपये 4 या अधिक खेसरों के लिए शुल्क निर्धारित किया गया है।
भूमि की मापी आवेदन करने के 30 दिनों के भीतर हो जाएगी। इसे बाध्यकारी बना दिया गया है। बिहार काश्तकारी अधिनियम में संशोधन के बाद राज्य में ई- मापी की सुविधा शुरू हो गई है । आफलाइन के साथ आनलाइन आवेदन की भी सुविधा है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने संशोधन का गजट प्रकाशन कर दिया है।
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि नई व्यवस्था के तहत लोगों को भूमि की मापी के लिए अंचल जाने की आवश्यकता नहीं रह जाएगी। घर बैठे या दूर रह रहे किसान आनलाइन आवेदन देकर जमीन की नापी करा पाएंगे। किसान को मापी प्रतिवेदन तत्काल उपलब्ध करा दिया जाएगा। मापी के लिए कोई भी भूधारी प्रपत्र- 36 में आवेदन दे सकेगा। आवेदन के साथ भूमि पर अधिकार से संबंधित साक्ष्य भी देना होगा।
10 कार्य दिवस में पूरा किया जाएगा तत्काल मापी को, सामान्य से दोगुना होगा इसके लिए शुल्क
तिथि तय करने की सुविधा मंत्री ने बताया कि सरकार जल्द ही आवेदकों को तिथि चयन की सुविधा देने जा रही है। इससे उन लोगों को सुविधा होगी जो कुछ दिनों की छुट्टी लेकर घर आते हैं। कम अवधि में ही भूमि की मापी करा लेना चाहते हैं। तत्काल मापी को 10 कार्य दिवस के भीतर पूरा किया जाएगा। इसी अवधि में अमीन को अपनी रिपोर्ट भी जमा करनी होगी।
1000 प्रति खेसरा शहरी मापी की दर
शहरी क्षेत्र नगर पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम के लिए प्रति खेसरा एक हजार रुपये निर्धारित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रति खेसरा पांच सौ रुपये देने होंगे। एक साथ चार खेसरा की मापी हो सकती है। तत्काल बुकिंग की सुविधा भी दी जा रही है। यह सामान्य शुल्क से दोगुना होगा। यानी शहरी क्षेत्र के लिए दो हजार और ग्रामीण के लिए दो हजार पहले मापी का शुल्क अमीन के एक दिन के वेतन के बराबर लिया जाता था। प्रति खेसरा एक से तीन हजार तक देना होता था।