महिला सशक्तिकरण और महिला न्याय सिर्फ नारों और विज्ञापनों में ही
केंद्र की मोदी सरकार का मुख्य फोकस महिलाओं के विकास को बढ़ावा देकर उन्हें समाज में सामान अधिकार देने का रहा है। कहा जा रहा था कि महिला आरक्षण बिल का पास हो जाना, भारतीय राजनीति के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। भारत सरकार ने 2024-25 के बजट में महिलाओं के विकास और कल्याण पर खर्च को पिछले साल के मुकाबले 38.7 प्रतिशत बढ़ा दिया है। जेंडर बजट स्टेटमेंट के अनुसार 2024-25 में 43 मंत्रालयों/विभागों/केंद्र शासित प्रदेशों को 2023-24 की तुलना में आवंटन 38.6 प्रतिशत अधिक बढ़ा है।
पीड़ित महिला बिहार की अनुसूचित जाति की विधवा हैं
इसके विपरीत, देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद में बिहार की एक अनुसूचित जाति की पीड़ित विधवा महिला और उनके बच्चों के साथ शोषण और अन्याय हो रहा है। उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। फरीदाबाद हरियाणा के सैक्टर-21 में सुनीता कुवंर, धर्मपत्नी स्वर्गीय अरविद कुमार, साई धाम कॉलोनी अगवानपुर, फरीदाबाद निवासी हैं।
पुलिस-प्रशासन मूक बनी
बड़ी मुश्किल से उन्होंनें सिर पर छत पर डालने के लिए जमीन का एक टुकड़ा ख़रीदा था। लेकिन एक स्थानीय दबंग और कुछ असामाजिक-आपराधिक तत्वों ने सुनीता कुंवर की जमीन पर कब्ज़ा कर लिया है। स्थानीय पुलिस भी उन दबंगों पर कार्रवाई करने में असमर्थ हैं। शायद पुलिस-प्रशासन की मिली-भगत और गठजोड़ के कारण ऐसा हो रहा है।
नेताओं की भूमिका भी उपेक्षा करने वाली
इस सम्बन्ध में पीड़ित महिला ने पुलिस कमीशनर से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, गृह मंत्री अमित शाह जी, चिराग पासवान जी, उपेंद्र कुशवाहा जी, सुप्रिम कोर्ट की चर्चित वकील सीमा कुशवाहा और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जी से भी न्याय हेतु लिखित गुहार लगाई। लेकिन यह विडंबना ही कही जाएगी की इतने लिखा-पढ़ी और साक्ष्य के बाद भी कोई कारगर कार्रवाई नहीं हो रही है।