कम मार्जिन वाले क्षेत्रों में निर्णायक साबित होगा 1.70 करोड़ बैलट वोट। औसतन प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में 31 हजार
जयराम रमेश ने देश के 150 जिलाधिकारियों से अमित शाह की बातचीत का आरोप लगाया है और चुनाव आयोग ने कॉल डिटेल्स माँगा है। ऐसा हुआ है तो यह आचारसंहिता का उल्लंघन है क्योंकि चुनाव के दौरान किसी रिटर्निंग ऑफिसर से उन्हें बात करने की छूट नहीं है। जिलाधिकारी रिटर्निंग ऑफिसर होते हैं और उनको कॉल कर बात की गई है तो जरूर कोई-न-कोई बात है।
फिर पोस्टल बैलट को किसी भी समय गिनने की छूट भी परिणाम में हेराफेरी का अवसर देता है और विधानसभा चुनाव के दौरान पोस्टल बैलट की बाद में गिनती कर ऐसा हेरफेर हुआ था। एक्जिट पोल की कुल 350 से 400 तक के बीच की संख्या में सबों के बीच बाँट दिया गया था और राज्यवार संख्या भरनी थी। इसका परिणाम हुआ कि जल्दबाजी में खुद को सबसे तेज कहनेवाले और एक अन्य चैनल के राज्यवार संख्या और योग बदलते रहे, भाजपा की जीत और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के नाम तक बताए गए।
पोस्टल बैलट सबसे पहले काउंट करना अनिवार्य था जिसे 2019 के चुनाव के बाद बदला गया और कभी भी गिनने की छूट दी गई। तो ऐसा करना मन में खोट का संकेत है। पीएम द्वारा अभी से 100 दिनों का जारी एजेंडा गलत है। यह प्रधानमंत्री बनने के बाद होना चाहिए, लेकिन चुनाव आयोग ने कुछ नहीं कहा।
1 करोड़ वोट का मतलब 100 लाख वोट। 1 सीट पर यदि 1 लाख वोट बढ़ाए गए। तो इसका मतलब है 100 सीटों पर एक एक लाख वोट बढ़े। आरोप के अनुसार, इस तरह 100 हारी हुई सीटें इन पर अपने एक-एक लाख वोट बढ़ाकर बेईमानी करके जीत लीं गईं।
बीजेपी ने कुल 240 सीटें जीती हैं। आरोप के अनुसार, 1 करोड़ वोट बढ़ाए बीजेपी ने यानि सिर्फ 140 लोकसभा सीट ही जीत सकने की स्थिति में थी। …और ऐसे में खास सवाल यह उठता है कि 1 करोड़ से अधिक वोट बढ़ाकर बीजेपी ने ये 100 सीटें आखिर किस किसकी छीनी होंगी ?